10/12/2025

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Sach Ke Sath

धार। आबकारी विभाग की कार्य प्रणाली को देखते हुए एक पुरानी कहानी का वाक्या याद आता है हम आज धार आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली उस वाक्य के माध्यम से हमारे पाठकों को बताना चाहते हैं —

एक समय की बात है एक राज्य में एक भोजनालय की दुकान थी, उस भोजनालय के मालिक ने राजा से जाकर निवेदन किया कि मैं मेरी भोजशाला में रोटी का मूल्य ₹15 करना चाहता हूं। तब राजा ने उससे कहा कि तुम रोटी का मूल्य ₹15 नहीं ₹30 करो। जब उस भोजनालय के द्वारा रोटी का मूल्य ₹30 कर दिया गया तो पूरे राज्य में हाहाकार मच गया। सभी लोग उठकर दौड़े-दौड़े राजा के पास पहुंचे।

बोले इस भोजनशाला के मालिक ने हमारे साथ अन्याय किया है महाराज। रोटी का मूल्य ₹10 से सीधे ₹30 कर दिया है। तब राजा अपने सिपाहियों से कहता है कि जाओ उस भोजनशाला के मालिक को पकड़ कर लाओ। वह आता है तो राजा उससे कहता है क्यों तूने रोटी का मूल्य ₹30 कर दिया तो वह राजा के सामने हाथ जोड़कर कहता है कि जी महाराज। तब राजा कहता हे हमारे राज्य में इतना अन्याय बोले हम तुझे कह रहे हैं आज से रोटी का मूल्य ₹20 कर दें। वह व्यक्ति रोटी का मूल्य ₹20 कर देता है और जनता राजा की खूब तारीफ करती है, खूब जय जयकार करति हैं।

फिर बात आती है कि राजा ने आखिर ऐसा क्यों किया तो राजा अपने सिपे सलाहकारों से चर्चा में कहता है कि अगर वह रोटी का रूप मूल्य ₹10 से ₹15 कर देता तो हमारी कोई गिनती नहीं होती, हमारा राजा होने का कोई वर्चस्व नहीं होता। इसलिए हमने उससे रोटी का मूल्य ₹30 करवाया और बाद में उसे ₹20 करवाया ताकि जनता भी संतुष्ट और रोटी बेचने वाला भी खुस।

यही कार्य प्रणाली धार जिले के आबकारी विभाग की है जहां पर धार आबकारी विभाग के अधिकारियों द्वारा कहा गया था कि कोई शिकायत करेगा तो हम कार्रवाई करेंगे। जब लगातार शिकायत की गई तब शराब ठेकेदारों द्वारा बिक्री मूल्य से अधिक में बेची जा रही शराब का मूल्य कम कर दिया गया। अब यह तो यही बात हुई ना पहले डायरेक्ट ज्यादा लेना और उसके बाद में कम कर देना।

मतलब आपकारी विभाग भी खुश जनता भी खुश। जनता ने पिछले 4 महीने में जो पैसा शराब ठेकेदार को अधिक दिया है, क्या उस पैसे का हिसाब लगाया जाए एक महीने में बिक्री मूल्य से अधिक में शराब बेचने पर शराब विक्रेता को करीब 10 करोड़ का फायदा हुआ इस हिसाब से 4 महीने में 40 करोड़ से अधिक का फायदा शराब विक्रेता ने ले लिया। अब वह बिक्री मूल्य से कम में शराब बेच रहा है तो इससे साफ जाहिर होता है कि वह कहीं ना कहीं इस कहानी को चरितार्थ कर रहा है।

संपादक- श्री कमल गिरी गोस्वामी

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