आदिवासी विभाग के बाबू द्वारा रिश्वत मांगने का वीडियो होगा जारी!
सहायक आयुक्त कार्यालय में शिकायत शाखा के कर्मचारी ने प्राचार्य से साठ हजार की मांगी रिश्वत।
धार। सहायक आयुक्त कार्यालय जनजातीय कार्य विभाग धार में पिछले महीनों में लगातार बदले जा रहे सहायक आयुक्तों के पांचवें क्रम में पदस्थ हुए सहायक आयुक्त नरोत्तम बरखडे की पदस्थापना के बाद ऐसा लग रहा था कि कार्यालय में भ्रष्टाचार पर कुछ अंकुश लगेगा लेकिन सारे कयास धरे के धरे रह गए, बल्कि भ्रष्टाचार की गंगा खुले आम और तेज गति से बहने लगी। आरोप है कि चाहे वह ट्रांसफर उद्योग हो या अन्य कोई कार्य हर काम भेट पूजा के बाद ही हो रहा है। अब आलम यह है कि कोर्ट की आड़ में जांचों में दोषी पाए गए और पंद्रह वर्षों से एक ही स्कूल में जमे दोषी शिक्षक शिक्षिकाओं के ट्रांसफर निरस्त और संशोधित किए जा सकते हैं।
रिश्वत मांगे जाने का वीडियो चर्चा में —
हाल में ही सहायक आयुक्त कार्यालय का एक ऐसा वीडियो देखने में आया है जिसमें सहायक आयुक्त कार्यालय के अंदर शिकायत शाखा का कर्मचारी एक सेवानिवृत हो रही प्रिंसिपल से उनको एनओसी देने के नाम पर साठ हजार की रिश्वत अधिकारी के नाम पर मांग रहा है। वीडियो में यह साफ रूप से सेवानिवृत्त होने जा रही प्रिंसिपल से सौदेबाजी करताहुआ नजर आता है। मजे की बात यह है कि सहायक आयुक्त कार्यालय में पदस्थ होने से पूर्व यह कर्मचारी उस प्राचार्य के अधीन ही कार्य कर चुका है। कहावत है कि डायन भी एक घर छोड़ देती है लेकिन इस कर्मचारी पर रिश्वतखोरी का नशा ऐसा चढ़ा है कि अपने प्राचार्य से ही रिश्वत मांग रहा है।इस वीडियो को शीघ्र ही आयुक्त और कलेक्टर को सौंपा जाएगा और निलंबन की मांग की जाएगी।
बैन लगे होने के बाद भी करवा रहा ट्रांसफर आदेशो को निरस्त और संशोधित —
वर्तमान में यह कर्मचारी ट्रांसफर पर राज्य शासन द्वारा बैन लगे होने के बाद भी ट्रांसफर, संशोधन खुले आम करवा रहा है। इतना ही नहीं यह प्रशासकीय ट्रांसफर आदेशो को निरस्त और संशोधित भी सहायक आयुक्त से बार बार करवा रहा है। कुल मिलाकर डंके की चोट पर सौदेबाजी चल रही है। आम कर्मचारी जिसका कोई माईबाप नहीं है या जो रिश्वत नहीं दे सकता है उसको चक्कर लगवाए जा रहे हैं। राज्य शासन के द्वारा ट्रांसफर पर बैन लगने के आदेशों को इस कार्यालय में पैरों तले रौदा जा रहा है।
पहले भी वीडियो वायरल होने पर लेखपाल हो चुका है निलंबित —
कुछ वर्ष पूर्व जनजाति कार्य विभाग का एक लेखापाल भी रिश्वत मांगे जाने के मामले में वीडियो वायरल होने के बाद तत्कालीन जिला कलेक्टर श्रीकांत बनोठ के द्वारा निलंबित किया जा चुका था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस कार्यालय में भ्रष्टाचार की जड़े कितनी गहरी है।

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