धार। गवर्नमेंट गर्ल्स कॉलेज के सामने एक होटल बनी हुई थी, जिसका नाम ऋतुराज होटल था, जिस पर पहले ओम साइ राम के नाम से परमिशन ली गई थी। बाद में उस पर कार्रवाई करते हुए उसे बंद कर दिया गया था। पुनः दस्तावेजों में हेर फेर करके सत्य साइ हॉस्पिटल के नाम से परमिशन ली गई, उक्त परमिशन में जो बिल्डिंग का नक्शा पेश किया गया है। उसमें बिल्डिंग के साइड में पार्किंग बताई गई है। जबकि इस बिल्डिंग के आजू-बाजू आमने-सामने या नीचे तल घर में कहीं भी पार्किंग व्यवस्था नहीं है।
स्वास्थ्य विभाग के नियम अनुसार जब किसी चिकित्सालय की परमिशन ली जाती है, तब उसमें नीयमानुसार 10 बैठ के अस्पताल पर कम से कम 14 कारों की पार्किंग होना आवश्यक होती है।
सीएमएचओ कार्यालय द्वारा किस आधार पर इस चिकित्सालय को अनुमति प्रदान की गई इसका तो भगवान मालिक है।
यह चिकित्सालय हमेशा से मीडिया की सुर्खियों में बना हुआ रहता है। पूर्व में भी कई बार इस चिकित्सालय में उपचार के दौरान जयस संगठन द्वारा धरना प्रदर्शन किए गए थे। आज भी यह चिकित्सालय जिला चिकित्सालय से मरीजों को प्रलोभन देकर अपने चिकित्सालय में लाते हैं। बाद में उन लोगों पर पैसे देने का दबाव बनाया जाता है।
हाल ही की एक ताजा घटना जिसमें जिला चिकित्सालय से एक्सीडेंट में घायल हुए व्यक्ति को उनके गुर्गो द्वारा जिला चिकित्सालय से छुट्टी करवा कर उनके अस्पताल में भर्ती कराया गया। जिसमें उन दो लोगों की सर्जरी होना बताया गया, बिल करीब 1 लाख 20 हजार रुपए पहुंच। 120 का तोड़ 40 हजार में करने को राजी हुए दिलीप सक्सेना।
सबसे बड़ी सोचने की बात यह है कि क्या जिला चिकित्सालय से अच्छे और वरिष्ठ डॉक्टर सत्य साइ हॉस्पिटल में उपलब्ध हैं। क्या जिला चिकित्सालय से ज्यादा बेहतरीन ऑपरेशन थिएटर सत्य साइ हॉस्पिटल के पास है। क्या जिला चिकित्सालय से ज्यादा सुविधा इस सत्य साइ हॉस्पिटल में उपलब्ध है, जो यह लोग गरीब आदिवासियों को बहला फुसला कर इनके चिकित्सालय में इलाज के बहाने ले जाते हैं। बाद में उन मरीजों से पैसे उगाई करने के लिए उनको डिस्चार्ज नहीं किया जाता है, परेशान किया जाता है।

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