धार। जिले की तीन विधानसभा सीटों पर कांग्रेस और भाजपा में सीधा मुकाबला माना जा रहा है। दो जगह निर्दलीय गणित बिगाड़ने मैदान में उतरे हैं, लेकिन वो कितना कुछ कर पाएंगे, इसे लेकर कोई भी स्पष्ट नहीं है। निर्दलीयों का ऐसा माहौल नहीं दिख रहा, जैसा पिछले चुनाव में गोपाल कन्नौज का मनावर में दिखा था। इस बीच कांग्रेस और भाजपा कुछ वर्षों के अपने-अपने प्रदर्शन के भरोसे जीत के दावे कर रही हैं।
भाजपा 2008 व 2013 के विधानसभा चुनाव के साथ 2014 के लोकसभा चुनाव का उदाहरण दे रही है।उधर कांग्रेस 2015 एवं 2018 के उपचुनाव के परिणामों और पंचायतों के चुनावों का हवाला दे रही है। लेकिन मतदाताओं का मूड नेता भी नहीं समझ पा रहे। पार्टियां तो अभी इस बात को लेकर ही असमंजस में है कि उनके साथ काम करने वाले सच में उनका साथ दे भी रहे हैं या नहीं।
भाजपा की उम्मीदें
2013 में पांच सीटें जीती। तब जैसी लहर अब भी है। पिछले साल नगरीय निकाय चुनावों में भी पार्टी ने कब्जा जमाया। पार्टी नेताओं का कहना है।
कांग्रेस की उम्मीदें
कांग्रेस अपने पुराने प्रदर्शनों के भरोसे है। नेता कहते हैं, बीच में कुछ समय बुरा समय था, लेकिन आदिवासी अंचल में कांग्रेस ही है। आम चुनाव के एक साल बाद उपचुनाव में पार्टी ने जीत दर्ज की थी। नगर पालिका में हम जीते। साथ ही पंचायतों में कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी अधिक हैं।
Follow Us Social media
More Stories ( ज़्यादा कहानियां )
बड़ी संख्या में राष्ट्रीय पक्षी मोर के मृत शव मिले
शहर में होटल संचालक खुलेआम उड़ा रहे नियमों की धज्जियां
नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा से आगे निकली कांग्रेस