किसी भी बड़े नेता ने कर्मचारियों की मांगों को लेकर अब तक कोई बयान नहीं दिया है।
भोपाल। प्रदेश में कांग्रेस की नई सरकार के गठन से पहले ही कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर बैठक कर आंदोलन का रुख साफ कर दिया है। शुक्रवार को सतपुड़ा, विंध्याचल व मंत्रालय के कर्मचारी व नेताओं ने बैठक की। सभी वर्गों के कर्मचारीयों की मांगों को लेकर नए संगठन के गठन पर सहमति बनायीं गयी है। साथ ही मांगें पूरी नहीं होने पर आंदोलन करने का निर्णय लिया हैं।
तृतीय वर्ग कर्मचारी संगठन के लक्ष्मी नारायण शर्मा ने बताया कि वचन पत्र में कर्मचारीयो की मांगों को ध्यान में रखा गया है। लेकिन प्रदेश के नए मुखिया कमलनाथ ने अब तक अपने बयानों में सिर्फ किसान व युवाओं को ही प्राथमिकता देने की बात कही है। कर्मचारियों से संबंधित मांगों को लेकर अब तक किसी भी बड़े नेता का बयान सामने नहीं आया है। उन्होंने कहा कि कमलनाथ सरकार में अलग-अलग मांगों को लेकर बैठक में विचार-मंथन किया गया है। साथ ही इस बात पर भी सहमति बनी कि कर्मचारी संगठन एक नया मोर्चा बनाएगा।
भाजपा सरकार ने नहीं दिया कर्मचारियों पर ध्यान
बैठक में कर्मचारी नेताओं ने बताया कि भाजपा सरकार में कर्मचारी संगठन से संवाद की स्थिति खत्म हो गई थी। लिहाजा, मांगों पर शासन-प्रशासन ने सिर्फ आश्वासन के अलावा कुछ नहीं किया था। इस बार ऐसी स्थिति न बने इसके लिए कर्मचारी संगठन पहले से ही संवाद पर जोर दे रहा है। 10 दिनों के भीतर पत्राचार के माध्यम से कर्मचारी ध्यानाकर्षण करेंगे। इसमें मांगों को पूरा करने की बात रखी जाएगी।
मांगो के पूरा नहीं होने पर होंगे आंदोलन
कर्मचारी नेताओं ने निर्णय लिया है कि वचन पत्र में मांगों पर आदेश जारी करने के लिए सरकार को एक माह का समय दिया जाएगा। इसके बाद मांगे पूरी नहीं हुई तो चरणबद्ध तरीके से आंदोलन शुरू किए जाएंगे। साथ ही मांगों पर कर्मचारियों को जागरूक करने के लिए भी प्रदेश स्तरीय अभियान चलाया जाएगा।
यह है कर्मचारियों की प्रमुख मांगें
सभी कर्मचारियों का समयमान-वेतनमान।
संविदा कर्मचारियों का नियमितिकरण।
सातवें वेतनमान के अनुरूप वेतन व भत्ते।
अनुकंपा नियुक्ति के वर्तमान नियमों को शिथिल कर नियुक्तियों का लाभ।
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