चंद्रप्रकाश बैरागी
उज्जैन। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी पर माता गंगा के पृथ्वी पर अवतरित होने की मान्यता है। देवी गंगा का 10 दिव्य योग की साक्षी में पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। ज्योतिषियों के अनुसार 12 जून को गंगा दशहरे पर वैसे ही 10 दिव्य योग का संयोग बन रहा है। बीते 75 साल में इस योग का निर्माण नहीं हुआ है। विशिष्ट योग की साक्षी में गंगा माता का पूजन पितरों को तारने तथा पुत्र, पौत्र व मनोवांछित फल प्रदान करने वाला माना गया है।
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया पंचागीय गणना के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी गंगा दशमी या गंगा दशहरा के नाम से जानी जाती है। इस बार 12 जून को गंगा दशहरे पर दिव्य संयोग बन रहा है। धर्मशास्त्रीय मान्याता के अनुसार इस बार गंगा दशहरे पर वैसे ही 10 दिव्य महायोग बन रहे हैं, जिन योगों में देवी गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। पंचागीय गणना से देखें तो बीते 75 साल में इस प्रकार का दिव्य संयोग नहीं बना है। हेमाद्री कल्प में शृंगी ऋषि ने 10 दिव्य योग में काशी के वासियों को दशाश्वमेघ घाट पर गंगा का पूजन तथा अन्य तीर्थ के लोगों को समीपस्थ तीर्थ पर गंगा पूजन करने को कहा है। ऐसा करने से मनुष्य को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
इन दस योगो में हुई में गंगा अवतरण हुआ था
ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, दशमी तिथि, बुधवार का दिन, हस्थ नक्षत्र, व्यतिपात योग, गर करण, आनंद योग, कन्या राशि का चंद्रमा व वृषभ राशि का सूर्य को दश महायोग कहा गया है।
क्षिप्रा के रामघाट पर लगता है मेला
ज्येष्ठ शुक्ल प्रतिपदा से पूर्णिमा तक रामघाट पर गंगा दशहरा उत्सव मनाया जाता है। 15 दिन तक रामघाट पर गंगा माता की पूजा अर्चना की जाती है।
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