छतरपुर विधायक व राज्यमंत्री ललिता यादव, पन्ना विधायक व मंत्री कुसुम मेहदेले, दमोह विधायक एवं मंत्री जयंत मलैया की हालात कमजोर, क्षेत्र में लग रहे भ्रष्टाचार के आरोप.!!
राकेश साहू धार —
भोपाल :- मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में सवर्ण आंदोलन का सबसे अधिक असर देखने को मिला है। यहां पर पलायन करते किसान और पानी, बैरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा रहे हैं। इस क्षेत्र ने शिवराज सरकार को पांच मंत्री भी दिए लेकिन फिर भी अनदेखी के चलते यह क्षेत्र विकास में पिछड़ा है। इस बार वोटरों का मूड भी बदला हुआ है। ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव में यहां नतीजे पलट सकते हैं। इस क्षेत्र से पांचों मंत्रियों गोपाल भार्गव मंत्री पंचायत एवं ग्रामीण, भूपेन्द्र सिंह मंत्री गृह एवं परिवहन, जयंत मलैया मंत्री वित्त, कुसुम महदेले मंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी और ललिता यादव राज्य मंत्री पिछडा एवं अल्पसंख्यक कल्याण की सीट खतरे में दिख रही है। दरअसल, इस क्षेत्र में आरक्षित वर्ग का बड़ा वोटबैंक है। लेकिन यहां विकास के कामकाज से जनता में काफी नाराजगी है। इसलिए यहां से इन मंत्रियों में चिंता का माहौल है कि वह चुनाव किस मुद्दे पर लड़ें। अगर विकास के मुद्दे पर लड़ते हैं तो भी उनके पास कुछ बताने के लिए नहीं है। जाति के नाम पर लड़ते हैं तो सवर्ण नाराज हो जाएंगे। ऐसे में यहां से मुद्दा गुम है।
40 फीसदी एससी/एसटी वोटर–
यहां पर आरक्षित आबादी उम्मीदवार को जिताने में निर्णायक भूमिका निभाती है। आंकड़ों के हिसाब से यहां 40 फीसदी एससी/एसटी वर्ग की आबादी है। वहीं, 35 फीसदी ओबीसी और 20 फीसदी सवर्ण हैं। यहां, सवर्ण की आबादी भले कम है लेकिन उनका प्रभाव सबसे अधिक है। सरकार द्वारा बुंदेलखंड विकास प्राधिकरण को पांच करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया था। लेकिन इतने बड़े क्षेत्र के लिए इतनी कम रकम महज मजाक साबित होती है। जबकि यहां से चार सांसद आते हैं। जिनमें सागर से लक्ष्मी नारायण यादव, दमाेह से प्रहलाद पटेल, खजुराहो से नागेंद्र सिंह और टीकमगढ़ से डॉ वीरेंद्र कुमार। टीकमगढ़ सांसद वीरेंद्र भले अपनी सादगी के लिए जाने जाते हैं लेकिन यहां विकास कार्य या फिर कोई बड़ी योजना लाने में वह नाकाम रहे हैं।ऐसे में इस बार बीजेपी के लिए यहां का रूख कुछ और ही है। एससी एसटी एक्ट पर भी सरकार घिरी है। राजनीति के जानकारों का कहना है कि इस बार यहां तख्तापलट की संभावना बन रही है।
सूखा—बेरोजगारी बडा मुददा–
मध्यप्रदेश का बुंदेलखंड क्षेत्र बीते कई सालों से सरकार की अनदेखी का शिकार हो रहा है। यहां सूखा, बेराजगारी, शिक्षा जैसे अहम मुद्दे सरकार की प्राथमिकता से गायब हैं। मध्य प्रदेश सरकार में बुंदेलखंड से छह विधायक मंत्री हैं, जिनमें से पांच तो कद्दावर मंत्री हैं, लेकिन इनके विकास कार्य सिर्फ अपने क्षेत्रों तक सीमित हैं। बुंदेलखंड के 6 जिलों में विकास के मुद्दे के बजाए जातिगत राजनीति हावी है। इसलिए चुनाव के समय भी यहां कोई राजनीतिक दल इन मुद्दों पर बात नहीं करता।
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