राकेश साहु धार–
शासकीय संपत्ति का हुआ नुकसान तो देना होगा मुअावजा–
भोपाल :- सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भीड़ हिंसा और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने की घटनाओं पर कहा है, कि किसी को भी कानून का ठेकेदार बनने का हक नहीं है। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति के उकसाने, पहल या किसी अन्य कारणों की वजह से सांस्कृतिक कार्यक्रमों के खिलाफ हिंसा हो। किसी की जान चली जाए या संपत्तियों को नुकसान हो तो उन्हें पीड़ित को मुआवजा देना होगा। साथ कानूनी एजेंसियां दोषियों को सजा दिलाने के लिए अपनी शक्तियों का प्रयोग करें।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने राज्य सरकारों को जिलावार रैपिड रिस्पांस टीम का गठन करने के लिए कहा है। ताकि बिना विलंब के इस तरह की घटनाओं पर काबू पाया जा सके। साथ ही विशेष हेल्पलाइन शुरू करने और पुलिस को साइबर पोर्टल के जरिये घटनाओं का रिकॉर्ड रखने के लिए कहा है। साथ ही स्पष्ट किया कि नागरिकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है।
पीठ ने यह फैसला कोडुंगल्लूर फिल्म सोसायटी की याचिका पर दिया है, जिसमें विवादास्पद फिल्म पद्मावत फिल्म की रिलीज से पहले कई राज्यों में हुई हिंसा और तोड़फोड़ का जिक्र किया गया था। पीठ ने कहा कि राज्यों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी घटनाओं को होने से पहले ही रोका जाना चाहिए।
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