कलम स्वतंत्र है और स्वतंत्र ही रहेगी, पत्रकार को लिखने से नही रोका जा सकता- सुप्रीम कोर्ट।
नईदिल्ली। (एड्वोकेट- अश्विनी कुमार परमार) सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति माननीय डी वाई चंद्रचूड़ की कोर्ट में सरकार की ओर से पैरवी कर रहे शासकीय अधिवक्ता के द्वारा पत्रकार के खिलाफ दायर याचिका में जमानत की अर्जी स्वीकार करने के लिए शर्त रखी गई थी, जिसमें शासकीय अधिवक्ता द्वारा कहा गया कि अगर पत्रकार आने वाले भविष्य में खबर ना लिखें तो इनकी जमानत मंजूर की जाती है। जिसके ऊपर सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति श्री चंद्रचूड़ द्वारा कहा गया कि ऐसा नहीं हो सकता है। कलम स्वतंत्र है, और स्वतंत्र ही रहेगी। पत्रकार की लेखनी को कोई नहीं दबा सकता, ना ही उन्हें लिखने से कोई रोक सकता है। पत्रकार लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना गया है, जो स्वतंत्र हैं।
पत्रकार को अभिव्यक्ति की आजादी है। यूडीएचआर के अनुच्छेद 19 में कहा गया है कि “सभी को बिना किसी हस्तक्षेप के राय रखने का अधिकार होगा” और “सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार होगा।
इस अधिकार में सभी प्रकार की जानकारी और विचारों को प्राप्त करने, प्राप्त करने और प्रदान करने की स्वतंत्रता शामिल होगी, सीमाओं की परवाह किए बिना, मौखिक रूप से, लिखित रूप में या प्रिंट में, कला के रूप में, या अपनी पसंद के किसी अन्य मीडिया के माध्यम से वह अपनी राय रख सकता है।
पत्रकार को खबर लिखने से रोका नहीं जा सकता- SC
आपको बता दें कि पत्रकारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर देश के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड ने एक फैसले में अधिवक्ता के पत्रकार द्वारा सरकार के खिलाफ भविष्य मे न लिखने की शर्त के साथ जमानत देने का अनुरोध किया था।
जिस पर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति ने पत्रकारों को कुछ कहने या लिखने से नहीं रोकने की व्यवस्था देते हुए कहा कि यह बिल्कुल वैसा होगा कि हम एक वकील से यह कहें कि आपको बहस नहीं करनी चाहिए।
भारतीय पत्रकार संघ (AIJ) यूथविंग प्रदेश अध्यक्ष संजीत शर्मा (विक्की पंडित) एवं वर्किंग जर्नलिस्ट एसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव सुमित अवस्थी ने सुप्रीम कोर्ट के इस सुप्रीम फैसले का स्वागत करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति को पूरे देश के पत्रकार संगठनों की तरफ से धन्यवाद ज्ञापित किया है, और कहा है कि पत्रकार को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है, और वह हमेशा देश को मजबूत करने और स्वस्थ समाज की परिकल्पना की आवाज को अपनी लेखनी से उजागर करता है। इसलिए उसके स्वस्थ लेखन पर सर्वोच्च न्यायालय ने रोक ना लगा कर देश की प्रशासनिक अधिकारियों को, एक संदेश दिया।
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