10/12/2025

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The issue of writing the owner's name on shops again heated up

The issue of writing the owner's name on shops again heated upThe issue of writing the owner's name on shops again heated up

दुकानों पर मालिक का नाम लिखने का मामला फिर गरमाया

महाकाल की नगरी उज्जैन में होटल मालिकों के नाम बोर्ड पर सार्वजनिक करने की मांग उठी। 

उज्जैन। भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन में श्रावण मास की तैयारियों के बीच होटल मालिकों के नाम बोर्ड या नेम प्लेट पर हिंदी में लिखे जाने की मांग जोर पकड़ रही है। धार्मिक संगठनों ने कहा कि तमाम मुस्लिमों ने अपने होटलों के नाम हिंदू नामों पर रखे हैं, इससे श्रद्धालु भ्रमित होते हैं। इससे बचने के लिए स्पष्ट और पारदर्शी व्यवस्था लागू करने की मांग की गई है।

बता दें कि वर्ष 2023 में महापौर मुकेश टटवाल ने भी यह मुद्दा उठाया था और नगर निगम के संबंधित अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि सभी होटलों, रेस्टारेंट और दुकानों के बाहर मालिक का नाम, संचालन करने वाले व्यक्ति का नाम और मोबाइल नंबर अनिवार्य रूप से लिखा जाए। यह न केवल प्रशासनिक नियंत्रण बल्कि शिकायत समाधान की प्रक्रिया को भी पारदर्शी बनाता है।

यह व्यवस्था अधूरी रह गई —

यह भी कहा था कि इससे संपत्ति कर, स्वास्थ्य और लाइसेंस से संबंधित मामलों में निगम को सीधे संबंधित से संपर्क करने में सहूलियत होगी। इसके साथ ही ग्राहकों को भी समस्या की स्थिति में संपर्क सुविधा मिलेगी। नगर निगम की ओर से उस समय इस दिशा में कार्रवाई के लिए निर्देश तो जारी किए गए थे, लेकिन कथित विरोध और व्यावसायिक संगठनों के दबाव के चलते यह व्यवस्था अधूरी ही रह गई।

अब इस मांग ने फिर जोर पकड़ा है। पुजारी महासंघ समेत कई धार्मिक संगठनों ने इसी श्रावण मास से यह व्यवस्था लागू किए जाने की मांग की है। यह भी बता दें की महाकाल की नगरी में 500 से अधिक होटल, रेस्टारेंट संचालित हैं।

यह है संभव —

गुमास्ता लाइसेंस की शर्तों के अनुसार प्रतिष्ठान का नाम और मालिक का नाम नेमप्लेट पर हिंदी में दर्शाना अनिवार्य है। मोबाइल नंबर जोड़ने से ग्राहक संवाद और शिकायत समाधान की प्रक्रिया पारदर्शी बनती है। यदि संचालक पहचान छुपाता है या आदेश का उल्लंघन करता है तो नगर निगम उसका व्यापार लाइसेंस निरस्त कर सकता है, साथ ही पांच हजार रुपये तक जुर्माना भी लगाया जा सकता है। निगरानी हेतु निगम और पुलिस की संयुक्त टीम तैनात की जा सकती है।

नाम छुपाकर व्यापार करना आस्था से छल —

महाकाल मार्ग केवल एक रास्ता नहीं, श्रद्धा की यात्रा है। यहां संचालित होटलों की पारदर्शिता अनिवार्य है। नाम छुपाकर व्यापार करना आस्था के साथ छल है। हम चाहते हैं कि हर होटल पर साफ लिखा हो कि कौन चला रहा है और किसके नाम से। – पंडित महेश पुजारी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, अखिल भारतीय पुजारी महासंघ।

संपादक- श्री कमल गिरी गोस्वामी

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