सावन की पौराणिक कथा: संसार की रक्षा करने के लिए भगवान शिव ने विष को कंठ में धारण कर लिया। विष की वजह से कंठ नीला पड़ गया और वे नीलकंठ कहलाए। विष का प्रभाव कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने भगवान शिव को जल अर्पित किया, जिससे उन्हें राहत मिली। इससे वे प्रसन्न हुए।
आयोजन स्थल:- शगुन शहनाई गार्डन श्री पंचायती अखाडा बड़ा उदासीन, राजघाट मार्ग, उज्जैन।
धार। (विशेष संवाददाता – अक्षय परमार) सावन के पावन महीने की शुरुआत आज (14 जुलाई) से हो गई है। देशभर में चारों ओर शिव भक्तों की धूम देखने को मिल रही है। मंदिरों में घंटों और भजनों की गूंज सुनाई दे रही है। शिव भक्त भगवान भोले की भक्ति में डूबे नजर आ रहे हैं। हिन्दू धर्म में सावन माह का विशेष महत्व होता है। ये महीना शिव भक्तों के लिए काफी खास माना जाता है।
हिंदू कैलेंडर के मुताबिक पांचवां माह श्रावण मास का होता है। इसे सावन मास के नाम से भी जानते हैं। यह पूरा माह भगवान शिव को ही समर्पित होता है। इसी कारण इसे भोलेनाथ का सबसे प्रिय मास कहा जाता है। शिव पुराण के अनुसार, सावन मास में भोलेनाथ और माता पार्वती भू-लोक में निवास करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर सावन मास को ही भगवान शिव का प्रिय माह क्यों कहा जाता है। जानिए इसके पीछे की पौराणिक कथा।
सावन की पौराणिक कथा—
पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि सावन के महीने में ही समुद्र मंथन हुआ था। इस मंथन से हलाहल विष निकला जिससे चारों ओर हाहाकार मच गया था। संसार की रक्षा करने के लिए भगवान शिव ने विष को कंठ में धारण कर लिया। विष की वजह से कंठ नीला पड़ गया और वे नीलकंठ कहलाए। विष का प्रभाव कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने भगवान शिव को जल अर्पित किया, जिससे उन्हें राहत मिली। इससे वे प्रसन्न हुए। तभी से हर साल सावन मास में भगवान शिव को जल अर्पित करने, उनका जलाभिषेक करने की प्रथा शुरू हो गई।
इस कारण भगवान शिव को पसंद है सावन माह—
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव को सावन माह बेहद प्रिय है। क्योंकि दक्ष की पुत्री माता सती ने अपने जीवन को त्याग कर कई वर्षों तक शापित जीवन जिया। इसके बाद हिमालयराज के घर में उनका पुत्री के रूप में जन्म हुआ। जहां उनका नाम पार्वती रखा गया। माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने का दृढ़ निश्चय लिया। ऐसे में मां पार्वती ने कठोर तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनके विवाह करने का प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। इसके बाद सावन माह में ही शिव जी का विवाह माता पार्वती से हुआ था। सावन मास में भगवान शिव अपने ससुराल आए थे, जहां पर उनका अभिषेक करके धूमधाम से स्वागत किया गया था। इस वजह से भी सावन माह में अभिषेक का महत्व है।
108 महारुद्राभिषेक एवं महामृत्युजय जप अनुष्ठा—
द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक उज्जैन महाकाल ज्योतिर्लिंग पर वृंदावन से पधारे कौशिक जी महाराज द्वारा उनके अनन्य भक्तों के साथ महा रुद्राभिषेक किया जा रहा है। 108 महा रुद्राभिषेक एवं महामृत्युंजय जप अनुष्ठान आचार्य श्री कौशिक जी महाराज के द्वारा दिनांक 15 जुलाई से 13 अगस्त 2022 तक जारी रहेगा। आयोजन स्थल:- शगुन शहनाई गार्डन श्री पंचायती अखाडा बड़ा उदासीन, राजघाट मार्ग, उज्जैन।
महाराज के भक्त व शिव भक्त सैकड़ों किलोमीटर से महाराज का सानिध्य पाने के लिए व उनके सानिध्य में शिव महा रुद्राभिषेक करने के लिए उज्जैन महाकाल नगरी पहुंच रहे हैं। इसी कड़ी में धार से भी उनके भक्त उज्जैन पहुंचे जहां उन्होंने रुद्राभिषेक किया और महाराज श्री से आशीर्वाद लिया।
More Stories ( ज़्यादा कहानियां )
बड़ी धूमधाम से मनाया गया विश्व आदिवासी दिवस
खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा लगातार कार्यवाही जारी
श्रावणी कर्म के दौरान राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा वितरित