चैत्र नवरात्र में आठ दिन में पांच सर्वार्थसिद्धि व चार बार रवियोग।
उज्जैन। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, गुड़ी पड़वा पर आज सर्वार्थसिद्धि योग के महासंयोग में चैत्र नवरात्र का आरंभ हो गया है। इस बार तिथि क्षय के कारण नवरात्र आठ दिन के रहेंगे। पर्वकाल में पांच बार सर्वार्थसिद्धि तथा चार बार रवियोग का संयोग बन रहा है।
देश के 52 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ हरसिद्धि मंदिर जहां पर आज सुबह छह बजकर 15 मिनट पर घट स्थापना हुई।
पुजारी महंत रामचंद्र गिरि गोस्वामी ने बताया कि शक्तिपीठ की पूजन परंपरा में नवरात्र के नौ दिन माता हरसिद्धि शयन नहीं करती हैं, इसलिए मंदिर में शयन आरती नहीं होती है।
शक्तिपीठ में शाक्त पूजन(शक्ति पूजा) का विधान है। चैत्र व शारदीय नवरात्र में दोपहर 12 बजे कलेक्टर माता हरसिद्धि की पूजा- अर्चना करने आते हैं। शक्तिपीठ की मान्यता में यहां माता सती के दाहिने हाथ की कोहनी गिरी थी। नवरात्र में प्रतिदिन शाम सात बजे संध्या आरती के समय दीपमालिका प्रज्वलित की जाएगी।
घट स्थापना के शुभ मुहूर्त —
- सुबह आठ से 9.30 बजे तक चंचल
- सुबह 9.30 से 11 बजे तक लाभ
- सुबह 11 से दोपहर 12.30 तक अमृत व अभिजीत
- दोपहर दो से 3.30 बजे तक शुभ
सर्वार्थसिद्धि व रवियोग कब-कब —
- 30 मार्च : शाम चार बजे से रात्रि पर्यंत सर्वार्थसिद्धि व रवियोग
- एक अप्रैल : सुबह 11.8 बजे से सर्वार्थसिद्धि व रवियोग
- दो अप्रैल : सुबह 8.50 बजे से सर्वार्थसिद्धि व रवियोग
- चार अप्रैल : सुबह पांच बजे ब्रह्म मुहूर्त से सर्वार्थसिद्धि योग
- छह अप्रैल : पुष्य नक्षत्र की साक्षी में सर्वार्थसिद्धि व रवि योग
हरसिद्धि व गढ़कालिका में प्रज्वलित होगी दीपमालिका —
शक्तिपीठ हरसिद्धि में प्रतिदिन संध्या आरती के समय दीपमालिका प्रज्वलित होगी। भक्त मंदिर कार्यालय में 3100 रुपये की शासकीय रसीद कटवाकर दीपमालिका की बुकिंग करा सकते हैं।
सिद्धपीठ गढ़कालिका माता मंदिर में भी प्रतिदिन संध्या आरती में दीपमालिका प्रज्वलित होगी। भक्त मंदिर कार्यालय में 3300 रुपये की शासकीय रसीद कटवाकर दीपमालिका की बुकिंग करा सकेंगे।
अष्टमी पर नगर पूजा होगी —
चैत्र नवरात्र की अष्टमी पर पांच अप्रैल को नगर पूजा होगी। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्रपुरी गोस्वामी जी महाराज पूजा-अर्चना करेंगे। सुबह आठ बजे गुदरी चौराहा स्थित माता महामाया व महालया की पूजा- अर्चना के साथ नगर पूजा शुरू होगी। इसके बाद 40 से अधिक देवी व भैरव मंदिर में पूजा अर्चना की जाएगी।
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