जिला शिक्षा केंद्र में रामराज का आलम, सूचना के अधिकार अंतर्गत नहीं देते है जानकारी।
अधिकांश कुर्सियां पड़ी रहती है खाली, मुख्यालय से भी रहते हैं गायब।
धार। (राकेश साहू) जिला शिक्षा केंद्र में इन दिनों रामराज का आलम चल रहा है। डीपीसी प्रदीप खरे के आने के बाद से जिले में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा का स्टार भी गिरा है। सर्वशिक्षा अभियान अंतर्गत आने वाले भवन जर्जर होकर बारिश में टपक रहे हैं, लेकिन जिम्मेदारों का ध्यान सिर्फ वक्तव्य देने तक रह गया है।
शालाओं की रिपेयरिंग की राशि कहां जाती है, रिपेयरिंग हो रही है या नहीं हो रही, बच्चे खतरनाक भवनों में बैठ रहे हैं। इस पर जिला शिक्षा केंद्र के डीपीसी का कोई ध्यान नहीं है। डीपीसी खरे सिर्फ पत्र निकालकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं।
इस संबंध में जब संवाददाता जर्जर स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर चर्चा करने पहुंचा तो डीपीसी कार्यालय से गायब थे और खाली पड़ी कुर्सी मुंह चिढ़ा रही थी। राज्य शासन द्वारा प्रदेश में कार्यालय का समय प्रातः 10:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक कर दिया गया है। लेकिन जिला शिक्षा केंद्र में कोई ही क्षण ऐसा होगा कि जब समस्त स्टाफ और डीपीसी एक साथ कार्यालय में मिल जाए, कभी अधिकारी गायब रहते है तो कभी कर्मचारी।
ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस प्रकार से जिले में शिक्षा व्यवस्था की दुर्गति हो रही है।
सूचना अधिकार अंतर्गत नहीं देते जानकारी —
जिला शिक्षा केंद्र में जब सूचना के अधिकार अंतर्गत कोई जानकारी मांगी जाती है तो भ्रष्टाचार की पोल ना खुले इसलिए सूचना अधिकार अंतर्गत किसी प्रकार जानकारी देने में हीलाहवाली की जाती हैं। डीपीसी के द्वारा अनावश्यक की धाराएं बताकर जानकारी नहीं देते है। अपने काले कारनामों को छिपाने का प्रयास कर रहे हैं, जो कि सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा का स्पष्ट उल्लंघन है, अब तानाशाही पर उतर आए हैं।
मुख्यालय से भी रहते है गायब —
डीपीसी खरे मुख्यालय से भी अधिकतर गायब रहते हैं। शासन के नियमानुसार सभी अधिकारियों को अपने मुख्यालय पर रहना चाहिए लेकिन खरे शनिवार के एक दिन पहले ही अपने गांव निकल जाते हैं और फिर सोमवार या मंगल को ही ऑफिस आते हैं। इस प्रकार यह मुख्यालय पर भी बहुत कम ही रहते हैं।
बीआरसी भी काट रहे हैं चांदी —
सर्व शिक्षा अभियान में डीपीसी खरे के नियंत्रण का आलम यह है कि वर्तमान में अनेकों बीआरसी भी निरंकुश हो गए हैं और उन पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं, चाहे वह निजी स्कूलों की मान्यता के प्रकरण हो या मध्यान्ह भोजन में परमिट दिए जाने का मामला हो। कुछ बीआरसी तो शहर के आसपास मास्टरों की होने वाली विदाई पार्टियों में सोमरस की फ्री की बूंदे चाटने भी जा रहे हैं।

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