KSS चिकित्सालय में उपचार के बाद मृत महिला को लेकर करीब एक माह बाद फिर उठा मुद्दा।
धार। विगत माह सिकल सेल जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित महिला की डिलीवरी के 5 दिन बाद छुट्टी होकर घर जाने पर मोत हो गई थी। बताया गया था की महिला की अचानक तबियत बिगडी उसे घबराहट हुई और मौत हो गई थी। उसके पश्चात परिजनों एवं जयस कार्यकर्ताओं ने चिकित्सालय पर खूब हंगामा किया था। जिस पर प्रशासन ने कार्यवाही करते हुए चिकित्सालय से महिला के उपचार में लगी राशि करीब 70 से 80 हजार रुपए तत्काल परिजनों को प्रदाय कर दी थी। साथ ही धार तहसीलदार द्वारा कहा गया था कि ₹200000 की राशि सरकार की और से संबल योजना के तहत दी जाएगी। इस बात पर परिजन घर लौट गए थे, अब एक माह बित जाने के बाद पुनः जयस कार्यकर्ता परिजनों के साथ हॉस्पिटल परिसर में धरने पर बैठे।

धरने में नजर आई पक्षपात पूर्ण राजनीति —
उक्त धरने के प्रारंभ होते ही सोशियल मिडिया पर अंदर ही अंदर जयस पदाधिकारीयों के द्वारा की जा रही वार्तालाप की जंग। इस धरना आंदोलन की निंदा भी हो रही। इतना ही नहीं सोशल मीडिया पर उगाई के साथ संगठन को बदनाम करने जैसे मैसेज भी वायरल हो रहे हैं। हालांकि प्रशासन ने कार्यवाही करते हुए तहसीलदार की मौजूदगी में देर शाम हॉस्पिटल को सील कर दिया।

प्रशासन के द्वारा हॉस्पिटल सील करने के बाद भी नहीं हुआ धरना समाप्त —
मतलब जग जाहिर है कि इन लोगों के द्वारा वसूली के लिए दबाव बनाया जा रहा है। मांगे पूरी नहीं होना मतलब किस प्रकार से प्रशासन ने अस्पताल संचालन पर कार्यवाही करते हुए अस्पताल को सील कर दिया गया। बावजूद इसके धरना समाप्त न होना कहीं ना कहीं इन लोगों की मनसा को जाहिर करता है। क्योकि जयस कार्यकर्ताओ द्वारा जो इस मामले को लेकर सोशियल मिडिया जान छिड़ी है उसमे साफ तोर पर लिखा है की ऐसे ही धरनो से संगठन बदनाम होता है। वायरल मेसेज “कोई भी कार्य ऐसे नहीं होता बैठकर आपस में बात विचार करके ही किसी भी चीज का हल निकाला जा सकता है।”

यह घटना कही और होती तो क्या ऐसा होता ?
यह घटना धार के किसी अन्य चिकित्सालय में घटित होती तो क्या ऐसे धरना आंदोलन पनपते! बात अगर चिकित्सालयों की की जाए तो वहां पर प्रतिदिन कोई न कोई मरता है। बावजूद इसके कभी इस प्रकार की कोई घटना घटित ना हो सकी। एक चिकित्सालय अपनी सेवाएं जनता को प्रदान करता। उस चिकित्सालय पर दबाव बनाना गया। अगर इन लोगों को कार्यवाही करवाना ही थी तो उस दिन 70000 से अधिक की राशि लेकर क्यों गए। मतलब साफ जाहिर होता है कि अभी फिर पैसे की मांग की जा रही होगी जैसा की जयस कार्यकर्ताओं की आपसी बहस बता रही है।
जिला अस्पताल सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त महिला की मृत्यु के बाद शव परीक्षण करवाया गया था। शव परीक्षण की जांच रिपोर्ट लगभग मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के पास पहुंच चुकी है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रिपोर्ट में किसी प्रकार का कोई इलाज में त्रुटि के कारण मौत होने का उल्लेख नहीं है। परिजनों के अनुसार भी पूर्व में भी बताया गया था कि महिला को घर जाने के बाद एकदम घबराहट हुई। घबराहट होने के बाद महिला मौत के आगोश में समा गई।
इससे साफ जाहिर होता है की घबराहट होना पसीना आना यानी की मेडिकल भाषा में अटैक से मृत्यु होना। इस प्रकार से अगर सभी लोग किसी भी मरीज के मरने के बाद चिकित्सालयों के सामने बैठकर धरना प्रदर्शन करेंगे चिकित्सालयों को बंद करवाएंगे तो आने वाले समय में किसी भी मरीज का इलाज करने से डॉक्टर लोग कतराएंगे। डॉक्टर का काम होता है मरीज का उपचार करना ना कि उसकी जान लेना।
चिकित्सक अपने संपूर्ण प्रयास करता है मरीज की जान बचाने के अब मरना और जिना सभी जानते हैं कि ऊपर वाले के हाथ में होता है, कोई भी डॉक्टर जानबूझकर किसी मरीज की जान नहीं लेता। चिकित्सालय में एक ही डॉक्टर नहीं होता है जो अपनी मनमर्जी कर ले वहां कई डॉक्टर होते हैं। ड्यूटी डॉक्टर होते हैं। प्रशिक्षित स्टाफ नर्स होती है जो समय-समय पर मरीज का उपचार एवं देखभाल करती हैं। इतनी बड़ी लाबी के होने के बाद इस प्रकार की घटना होना संभव नहीं है। अगर उपचार के दौरान मरीज की मौत चिकित्सालय में होती तब बात कुछ और होती। पर मरीज स्वयं स्वस्थ होकर अपने पैरों से चलकर वाहन में बैठकर घर पहुंचा घर जाने के बाद देर रात्रि उसकी मृत्यु होना कहीं ना कहीं प्राकृतिक मृत्यु की ओर इशारा करती है।
हालांकि हम इस बात को प्रमाणित नहीं करते है।

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