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Sach Ke Sath

बेटमा/इंदौर। चोरी की चोरी ऊपर से सीना जोरि को चरितार्थ करता बेटमा थाने का एक प्रकरण। पुलिस के सामने ही दबंगों ने दिखाई अपनी दबंगई। पुलिस थाने पर बयान देने आए व्यक्ति को उठाकर ले गए दबंग।

विश्वसनीय सूत्रों से मिले जानकारी के अनुसार थाने से व्यक्ति को उठाने वाले का कोई रिश्तेदार बेटमा थाने पर पदस्त हे, जिसके दम पर इस प्रकार का कृत्य करने की जुर्रत की है अपराधियों ने।

आपको बता दे की कुछ समय पूर्व बेटमा थाने पर लड़की की गुमसुदगी दर्ज होने के बाद शंका के तौर पर बयान के लिए बुलाए गए अनीश राजपूत का अपहरण बेटमा थाने से ही किया गया था। आसपास के थाना क्षेत्र में लिस्टेड बदमाशों ने बेटमा थाने पर बयान देने के बाद पुलिस की मिली भगत से अपहरण कर लिया था। उसके बाद उसकी पत्नी एवं परिवार के द्वारा थाने पर जाकर कहा गया कि यहां बयान देने आए हमारे हमारे पुत्र अनीश की अभी तक कोई खबर नहीं है, वह घर नहीं लोटा जिस पर बेटमा पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज किथी, 20 से 25 दिन अपनी हिरासत में रखने के बाद खूब प्रताड़ित करने के बाद अपराधियों ने करीब 20 दिन बाद अनीश को बदनावर थाना क्षेत्र के अंतर्गत जाकर फोर लाइन पर छोड़ दिया था।

इस घटना से घबराया हुआ आदमी अनीश एक डेढ़ महीने इधर-उधर भटकने के बाद जैसे तैसे अपने परिवार के संपर्क में आया अन्यत्र किसी मोबाइल से संपर्क करने के बाद परिवार वालों को पता चला कि वह जिंदा है। तब अनीश एक वरिष्ठ पत्रकार के संपर्क में आया और पत्रकार के माध्यम से थाने पर जाकर अपनी गुमशुदगी की खत्म ख़त्म करवाई। उसके बाद पुलिस ने कहा कि तुम्हारे साथ क्या-क्या घटना घटित घटी थी, उसका विवरण लिखकर एक आवेदन हमें प्रस्तुत किया जाए।

अनीश के द्वारा एक लिखित आवेदन थाने पर प्रस्तुत किया गया। बावजूद उसके आज दिनांक तक पुलिस ने उन अपराधियों पर कोई कार्रवाई नहीं कि, वह अपराधी इतने शातिर हे की उल्टा अनीश के ऊपर पैसे के लेनदेन के आरोप लगा रहे हैं। इतना ही नहीं सोशल मीडिया अकाउंट फेसबुक व इंस्टाग्राम आईडी पर अनिश की गुमशुदगी और उस पर इनाम घोषित कर रहे हैं। अब आरोपी खुद अपनी जाल में फसता जा रहा है। क्योंकि गुमशुदगी दर्ज होने के बाद इनाम घोषित करना पुलिस का मामला होता है, ना कि खुद अपराधियों का।

अब देखना हयह होगा की बेटमा थाना पुलिस इन आरोपियों की खबरें प्रकाशन होने के बावजूद अपराधियों पर क्या कार्रवाई करती है या फिर पुलिस की मिली भगत से अपराधियों को संरक्षण प्राप्त होता है।

संपादक- श्री कमल गिरी गोस्वामी

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