20/10/2025

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Triple death sentence to the rapist and murderer of a 5-year-old girl, the judge said - his lust is like that of demons

Triple death sentence to the rapist and murderer of a 5-year-old girl, the judge said - his lust is like that of demons

5 साल की बच्‍ची के दुष्कर्मी हत्यारे को तिहरा मृत्युदंड, जज ने कहा – इसकी वासना राक्षसों जैसी

भोपाल में 5 साल की बच्‍ची के दुष्कर्मी हत्यारे को तिहरा मृत्युदंड, जज ने कहा – इसकी वासना राक्षसों जैसी।

भोपाल। पांच महीने पहले भोपाल के शाहजहानाबाद इलाके की एक मल्टी में पांच वर्ष की मासूम के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में न्याय हुआ। भोपाल की विशेष अदालत ने इस मामले में दुष्कर्मी और हत्यारे अतुल निहाले (25) को तीहरी फांसी की सजा सुनाई है। 100 पेज के अपने फैसले में विशेष न्यायाधीश कुमुदनी पटेल ने इसे दुर्लभतम मामला बताते हुए लिखा कि अपराधी की वासना राक्षसों जैसी है।

विशेष लोक अभियोजक दिव्या शुक्ला ने बताया कि विशेष न्यायालय ने पिछले सप्ताह आरोपितों को दोषी घोषित कर दिया था। मंगलवार को सजा सुनाई गई। अतुल को हत्या, दुष्कर्म के दौरान मौत और 12 वर्ष से कम उम्र की बच्ची के गुप्तांगों को विकृत करने के अपराध के लिए अलग-अलग मृत्युदंड की सजा सुनाई गई है। वहीं लैंगिक अपराधों से बालकों को संरक्षण अधिनियम (पाक्सो) के तहत उम्र कैद की सजा दी गई है। हत्यारे की मां बसंती बाई और उसकी बहन चंचल भालसे को दो-दो वर्ष के कारावास की सजा सुनाई गई है।

पीड़ित परिवार ने कहा – न्याय मिला —

सजा की घोषणा के बाद मृतका के स्वजन ने कहा कि इस दरिंदे को फांसी पर चढ़ाया ही जाना चाहिए। न्यायालय ने उनके साथ न्याय किया है। लेकिन इस अपराध में साथ देने वाली दोनों महिलाओं को भी कम से कम उम्र कैद की सजा मिलनी चाहिए थी।

अपराधियों ने ऐसे दिया वारदात को अंजाम —

  • अभियोजन के मुताबिक 24 सितंबर को दोपहर 12 बजे पांच वर्ष की मासूम मल्टी के दूसरे ब्लाक स्थित अपने स्वजन के ही घर से अपने फ्लैट पर पहुंची थी।
  • उस फ्लैट के ठीक सामने के फ्लेट में रहने वाले अतुल निहाले ने उसका मुंह दबाकर भीतर खींच लिया। 35 मिनट के भीतर उसने दुष्कर्म कर बच्ची का गला दबाकर हत्या कर दी।
  • उसके बाद शव को बिस्तर के नीचे छिपा दिया। काफी देर तक बच्ची का पता नहीं चला तो मल्टी के रहवासी उसको तलाशने लगे। पुलिस को सूचना दी गई।
  • पांच थानों के 100 से अधिक पुलिसकर्मी उसे तलाशने लगे। ऐसे में अपराधी को शव ठिकाने लगाने का अवसर नहीं मिला। इस बीच उसकी मां और बहन को अपराध का पता चल चुका था।
  • उन्होंने बच्ची का शव बिस्तर से निकालकर पानी की एक टंकी में छिपा दिया। बदबू रोकने के लिए बार-बार फिनायल से पोछा लगाया।
  • 26 सितंबर को फ्लैट से बदबू उठने लगी तो पड़ोसियों ने पुलिस को सूचना दी। तलाशी में बच्ची का शव मिल गया। उसके बाद पुलिस ने तीनों अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया।

महिलाओं ने अंजाम तक पहुंचाया —

पिछले साल इस वारदात ने भोपाल को हिलाकर रख दिया था। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने एसआइटी गठन की घोषणा कर फास्टट्रैक न्यायालय में सुनवाई करने की बात कही थी। इसकी जांच से लेकर सजा सुनाने तक महिलाओं की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही। एसीपी अंकिता खातरकर, एडीसीपी शालिनी दीक्षित और एसआइ योगिता जैन ने मामले की जांच की। साक्ष्य जुटाए और चालान पेश किया। विशेष लोक अभियोजक दिव्या शुक्ला ने न्यायालय में पैरवी की और विशेष न्यायाधीश कुमुदनी पटेल ने फैसला सुनाया।

फैसले में जज की टिप्पणी —

  • अभियुक्तगण का कृत्य असामान्य और वीभत्स है। आरोपित अतुल निहाले की मनोवृत्ति का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि उसकी वासना ने इतना राक्षसी रूप लिया कि अतुल निहाले ने पांच साल की मासूम बच्ची के साथ बेरहमी से ज्यादती की और उसके प्रायवेट पार्ट को चाकू से चारो तरफ से चौड़ा कर बार बार ज्यादती करता रहा।
  • इसके बाद उसने मासूम की बेरहमी से हत्या कर दी और शव को पोटली में बांधकर फ्लैट में ही पानी की खाली प्लास्टिक की टंकी में रख दिया। इसके बाद घटना स्थल पर फैले खून को साफ किया।
  • हत्यारे अतुल के अपराध की जानकारी होने के बाद भी अभियुक्त की मां बसंती बाई व बहन चंचल भालसे ने शव की बदबू फ्लैट से न फैले इसलिए टंकी के मुंह को चादर शाल से ढक दिया और सभी पुलिस वालो के साथ बच्ची को ढूढनें का नाटक करने लगे।
  • जब फ्लैट से शव की बदबू बाहर आने पर बसंती बाई व चंचल भालसे ने पुलिस को गुमराह कर फ्लैट की तलाशी लेने का विरोध कर पुलिस के साथ झूमाझटकी की। – (न्यायाधीश कुमुदनी पटेल ने जैसा फैसले में लिखा)

27 वर्ष में फांसी की 52 सजाएं, किसी को लटका नहीं सके —

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि 1998 से अब तक मध्य प्रदेश में 52 अपराधियों को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। इसमें से किसी को भी सजा के तौर पर अभी तक फांसी पर लटकाया नहीं जा सका। कई लोगों की फांसी की सजा को अपीलीय न्यायालयों ने उम्र कैद में बदल दी। कई लोगों का मामला न्यायालयों में लंबित है।

फैक्ट फाइल —

  • 24 सितम्बर 2024 की घटना
  • 11 दिसंबर 2024 को न्यायालय में संस्थित हुआ था मामला
  • 18 मार्च 2025 को आया फैसला
  • 100 पेज का फैसला

संपादक- श्री कमल गिरी गोस्वामी