28/12/2025

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Sach Ke Sath

धार। जहां एक ओर जिला पुलिस अधीक्षक धार में अमन चैन व शांति के लिए लगातार कई प्रयास कर रहे हैं, उसी के तहत गुंडो के जुलूस भी निकाले गए हैं। इतना ही नहीं अभी धार में बसंत उत्सव को लेकर संवेदनशीलता जारी है, बावजूद उसके पुलिस की कई लापरवाहियां सामने आ रही है।

आपको बता दे कि शहर के गुप्तेश्वर गली निवासी श्रीमति पंकलेश (रानी) यादव के द्वारा बताया गया कि उनके पड़ोसी शुभम उपाध्याय, सौरभ उपाध्याय और इनके मामा लगातार कई वर्षों से किसी न किसी बात पर वाद-विवाद करते रहते हैं।
कुछ वर्ष पूर्व भी इन लोगों ने उक्त परिवार पर हमला किया था, जिसके बाद कानूनी कार्रवाई होकर न्यायालय में मामला प्रचलित रहा, उसके बाद इन लोगों द्वारा उक्त परिवार पर दबाव बनाकर बड़ी रकम वशूल की गई थी। और फिर समझौता किया गया था। समझौते के पश्चात इस परिवार का लालच जस का तस बना हुआ है। यह लोग लगातार उक्त परिवार को प्रताड़ित कर रहे हैं।

अभी ताजा मामले में उपाध्याय परिवार के द्वारा शनिवार के दिन भी पीड़ित के मकान की दीवार की पुताई करने को लेकर विवाद किया गया, उसके बाद पीड़ित श्रीमति पंकलेश यादव कोतवाली थाने पर पहुंची, जहां पुलिस द्वारा एनसीआर करते हुए आश्वासन देकर भेज दिया गया था। उसके बाद इन दबंगों ने पीड़ित के घर की साइड की दीवार पर दादागिरी और बलपूर्वक रंगाई पुताई कर दी।

मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारी अमर सिंह वाकले द्वारा पीड़ित की ना सुनते हुए इन आदतन खुरापाती हरकत करने वाले उपाध्याय को संरक्षण दिया गया और कहा गया कि आप कलर कर दो और जो हो लड़ाई झगड़ा करो बाद में पुलिस समझ लेगी, ऐसा कहकर मौके से चले गए।

उक्त प्रकरण को लेकर प्रधान संपादक सुनील यादव द्वारा थाना प्रभारी से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि यह मामला पुलिस का नहीं है, यह नगर पालिका से जुड़ा मामला है, अब अगर विवादास्पद स्थिति में पुलिस इस प्रकार की हरकतें करेगी तो पीड़ित पक्ष कहां जाएगा।

गौरतलब है कि कुछ माह पूर्व भी इन लोगों द्वारा गली में अतिक्रमण किया गया था, जिसकी शिकायत नगर पालिका सहित पुलिस थाने में भी की गई थी। इन अतिक्रमणकारी उपाध्याय परिवार के पास ही जैन मंदिर स्थित है, उसको लेकर भी अतिक्रमण हटाने के विषय में जैन समाज के लोगों द्वारा थाने पर आवेदन दिया गया था, फिर भी यह लोग अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। आखिर पुलिस इन्हें संरक्षण क्यों दे रही है यह तो पुलिस ही जाने।

संपादक- श्री कमल गिरी गोस्वामी

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