पंचायतों में फर्जीवाड़ा एक गंभीर समस्या है, जिसमें वित्तीय अनियमितताएं, काम में धांधली, और भ्रष्टाचार शामिल हैं। यह स्थिति ग्राम सभा और पंचायत के कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी के कारण उत्पन्न होती है।
धार। जिले में बगेर जीएसटी के बिलो से जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। सम्पूर्ण धार जिले का यही हाल है, जबकि सेल्स टैक्स विभाग द्वारा पहले ही प्रत्येक ग्राम पंचायत का जीएसटी रजिस्ट्रेशन करवाया गया था। लेकिन आज तक कई ग्राम पंचायतो ने इस नियम का पालन नहीं किया और बगेर जीएसटी वाले बिलों से शासन प्रशासन की राशि का दुरुपयोग हो रहा है।
धार जिले की जनपद पंचायत बाघ की ग्राम पंचायत करकदा का मामला है, जहां पर बगैर जीएसटी वाले बिल वाली खबर प्रकाशित की गई थी। इस खबर को देखते ही ग्राम पंचायत के सचिव ने अपना आपा खो दिया। ग्राम पंचायत सचिव ने किसी और नंबर 98 ****2092 से फोन पर अभद्र भाषाओं का उपयोग करते हुए बात की। इतना ही नहीं ग्राम पंचायत सचिव ने कहा कि इस खबर को प्रकाशित करने का तेरा मतलब क्या है, इसके साथ ही भारी अपशब्दो के प्रयोग के बाद सचिव धमकता है कि तेरा घर कहां है वहीं आ रहा हूं और अच्छे से बताता हूं कि मैं कौन हूं फिर दोबारा कुछ समय बाद एक अन्य नंबर से 88****0804 फ़ोन आता है और अपशब्दों का प्रयोग किया जाता है।
अधिकारियों की मिलीभगत से पंचायत सचिव के हौसले बुलंद —
गौरतलब है कि अधिकारियों की मिलीभगत से सचिव इतने दबंग हो गए हैं कि इनके काले कारनामो की खबर जिसमें इन लोगो के गोलमाल को उजागर किया जाता है, जिसे देखते ही यह लोग अपना आपा खो देते हैं? और ऐसे-ऐसे अनर्गल शब्दों का प्रयोग करते हैं जो पढ़े लिखे लोगों को शोभा नहीं देता। लेकिन क्या करें यह अपने रुतबे और भ्रष्टाचार के बल पर सोचते हैं कि पत्रकारों को भी साम दाम दंड भेद लगाकर खरीद लिया जाए।
आपको बता दे कि कई मामले ऐसे होते हैं जिसमे ऐसे सचिव अधिकारियों से मिलकर पत्रकारों पर रोप झाड़ते हैं। इन लोगो के भ्रस्टाचार का इतना मजबूत तंत्र बना हुआ है कि उनको मालूम है कि हमारे खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी। यह ऐसे मामले है जो लगातार संज्ञान में आते रहते हैं, लेकिन इनके जनपद अधिकारी और जिला अधिकारी इनके मामलो को गंभीरता से नही लेते।
2017 में जारी हुआ था GST निर्देश —
सेल्स टैक्स विभाग द्वारा 2017 में एक निर्देश जारी हुआ था जिसमें यह बताया गया था कि प्रत्येक ग्राम पंचायत का पंजीयन जीएसटी विभाग में होना चाहिए उसके बाद ही निर्माण कार्यों की और जीएसटी बिलों को सही माना जाएगा। क्योंकि इससे शासन को राजस्व की प्राप्ति होगी। बावजूद इसके अपनी मनमानी, अपने अहम और घमंड में सचिव नियम व कायदों को ताक पर रख कर अपनी मनमर्जी से बगेर जीएसटी वाले बिलों का प्रयोग करते रहते है। यह शासन को करोड़ों के राजस्व का चुना लगा चुके हैं?
सचिव के खिलाफ होगी शिकायत —
अब रही इस ग्राम पंचायत की बात तो इस धमकी वाले सचिव अलावा को यह समझना चाहिए कि अगर काम नियम कायदे से किया जाएगा तो इतनी बातें नहीं होगी। धमकी दी गई है, यानी साफ जाहिर होता है कि बिलों में फर्जी वाडा किया गया है ? हालांकि यह जाँच का विषय है। निर्माण कार्यों की सामग्री बगेर जीएसटी वाले बिलों से खरीदी गई है। इस पूरे मामले में जो सचिव ने धमकी दी है इसकी शिकायत भी की जाएगी।
इस विषय में जपनद सीईओ बाघ कुशवाह से चर्चा करनी चाही गई तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया।
कहीं ना कहीं धमकी देना और पत्रकार को धमकाना लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर प्रहार होता है। एक पंचायत सचिव के द्वारा किया गया अभद्र ओर अशोभनिय व्यवहार मीडिया जगत कभी भी बर्दाश्त नहीं करेगा। कमल गोस्वामी – प्रदेश महासचिव, भारतीय पत्रकार संघ।
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