madhyabharatlive

Sach Ke Sath

टेक्नीशियन के प्रमाण पत्र पर देदी स्वास्थ विभाग ने अस्पताल संचालक की अनुमति।

धार। शहर में संचालित कुशवाहा सेवा संस्थान की लगातार खबर प्रशासन के बाद स्वास्थ्य विभाग से जोड़-तोड़ में लगा संचालक मंडल।

आपको बता दे की पूर्व में भी इन्हीं धर्मेन्द्र कुशवाहा द्वारा नियम विरुद्ध एक चिकित्सालय संचालित किया जा रहा था। जिसका नाम ओम साइ राम था। जिसे स्वास्थ्य विभाग द्वारा नियम विरुद्ध पाए जाने पर बंद कर दिया गया था। बाद में इन्हीं कुशवाहा बन्धुवो द्वारा सत्य साइ के नाम से दूसरी परमिशन ली गई। उसमें भी कई झोल झाल हैं। जिसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त होने पर खबरें प्रकाशित की जाएगी।

हाल ही में इन्हीं कुशवाहा बन्धुवो द्वारा एक KSS हॉस्पिटल का निर्माण किया गया है। जिसका संक्षिप्त नाम कुशवाहा सेवा संस्थान शार्ट नाम KSS है। जिसकी परमिशन में इन्होंने सभी टेक्निशियनों के प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर स्वास्थ्य विभाग से अनुमति प्राप्त की है।

सोनोग्राफी में बड़ा झोलझाल —

जिन गरिमा मैडम का नाम यह सोनोग्राफी मशीन के लिए उपयोग कर रहे हैं, वहां पर जितेंद्र राठौर नामक टेक्नीशियन सोनोग्राफी करता है। वहीं अगर मेडिकल भाषा में कहा जाए तो एक गरिमा मैडम एक गायनिक है और गायनिक को सिर्फ ऑप्स गायनिक सोनोग्राफी की ही अनुमति होती हैं। वहां पर देखा जाए तो कई मरीजों की होल एब्डोमेन सोनोग्राफी की गई है, जो की जितेन राठौर के द्वारा गरिमा मैडम के आईडी से की जा रही है। इतना ही नहीं लैब में जिस एमडी डॉक्टर का नाम आ रहा है। वहां पर भी एक टेक्नीशियन काम कर रहा है।

इस हिसाब से देखा जाए तो मरीजों की जान से लगातार खिलवाड़ किया जा रहा है।

स्वास्थ्य विभाग क्यों इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है, इसके पीछे एक वजह यह भी है कि स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी जोड़ तोड़ में लग जाते हैं। उनके लिए तो यह कुशवाहा बंधु ‘दूध देती गाय’ बन चुके हैं। क्योंकि इन्होंने विगत 8 से 10 वर्ष में करीब 5 हॉस्पिटलों की परमिशन ली है, जिसमें से स्वास्थ्य विभाग द्वारा तीन को बंद कर दिया गया है।

मेडिकल पर भी नहीं होता है कोई फार्मासिस्ट —

KSS के यहां संचालित फार्मेसी (मेडिकल) में भी फार्मासिस्ट उपस्थित नहीं रहते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि धर्मेंद्र कुशवाहा स्वयं में एमबीबीएस एमडी सर्जन डॉक्टर की तरह उपचार करते हैं और मरीजों की सर्जरी भी करते हैं।

हाल ही में एक बर्न केश (जलने का मामला) सामने आया था। जिनको KSS में उपचार के दौरान लगातार पैसों से लूटा जा रहा था और मरीज को किसी भी प्रकार से स्वास्थ्य लाभ नहीं मिल पा रहा था, वह मरिज पढ़ा लिखा ओर जागरूक था, उसे समझ में आ गया कि यहां पर उसके स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा है। उसने तुरंत KSS हॉस्पिटल से अपने बोरिया बिस्तर उठाकर शहर में ही एक निजी चिकित्सालय में जाकर अपना उपचार करवाया। जहां पर कुछ ही दिनों में उसे आराम हुआ और वह स्वस्थ होकर घर लौट गया।

धार शहर की स्वास्थ्य सेवाओं के हाल- बेहाल —

धार शहर में स्वास्थ्य सेवाओं के यही हाल रहे तो शहर वासियों की स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सिर्फ भगवान ही मालिक होगा। स्वास्थ्य विभाग को इन जैसे झोलाछाप डॉक्टरों पर कठोर से कठोर कार्रवाई करके इन्हें जेल की हवा खिलानी चाहिए, ताकि यह लोग आम जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ ना कर सके।

इन्हें तो झोलाछाप डॉक्टर कहने में भी शर्म आती है, क्योंकि झोलाछाप डॉक्टर एक लीमिटेशन में इलाज करते हैं। मरीजों को वह स्लाइन लगाते हैं, बोतल इंजेक्शन लगाते हैं और जब उनसे नहीं संभालता तो वह वरिष्ठ डॉक्टरों के पास उन्हें भेज देते हैं। लेकिन यह तो स्वयं ही मरीजों की जान से खिलवाड़ करते नजर आते हैं।

अस्पताल के अनुमति में भी बड़ा घोटाला —

KSS हॉस्पिटल के कुशवाहा बन्धुवो के यहां अस्पताल अनुमति को लेकर के जो दस्तावेज प्रस्तुत किए गए थे, उन दस्तावेजों में कई ऐसे नाम है। जिन्होंने कभी वहां पर जॉब की ही नहीं, यानि की साफ जाहिर होता है कि इन लोगों ने फर्जी तरीके से दूसरों के दस्तावेजों का उपयोग किया है। इसको लेकर भी स्वास्थ्य विभाग को नियमानुसार कार्रवाई करके इन्हें दंडित किया जाना चाहिए।

संपादक- श्री कमल गिरी गोस्वामी