क्या सिर्फ दौरे, भाषण और फोटोशूट से न्याय मिल सकता है, या अब आदिवासियों को असली इंसाफ मिलेगा ?
खातेगांव/देवास। (चंचल भारतीय) शिवराज सिंह चौहान जी, आखिर आपको खिवनी के आदिवासियों तक पहुँचने में 15 दिन क्यों लग गए? क्या आप सच में उनके दर्द को समझने आए हैं या सिर्फ मीडिया में फोटो खिंचवाने और अपनी “पांव-पांव वाले भैया” की छवि चमकाने? विधायक आशीष शर्मा ने दोषी अफसरों पर कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा, लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं क्या ये सरकार की संवेदनशीलता है?
कुंवर विजय शाह तो कीचड़ में पैदल चलकर आ गए, लेकिन क्षेत्रीय सांसद होते हुए शिवराज जी को इतनी देर क्यों लगी ? क्या वो भी पदयात्रा में ही उलझे रहे? अगर सच में आदिवासियों से प्रेम है, तो 50 उजड़े परिवारों को एक-एक सरकारी नौकरी, पक्का मकान और 25-25 लाख मुआवजा देकर दिखाइए वरना ये सब सिर्फ दिखावा, भाषण और खोखले वादे ही रहेंगे।
क्या सिर्फ दौरे, भाषण और फोटोशूट से न्याय मिल सकता है, या अब आदिवासियों को असली इंसाफ मिलेगा ?
आपको क्या लगता है, क्या सरकार वाकई कुछ बदलेगी या फिर सब ऐसे ही चलता रहेगा? पंद्रह दिन बाद पहुंचे, फोटोशूट कराए, भाषण दिए लेकिन उजड़े आदिवासियों को अब तक न इंसाफ मिला, न मुआवजा। मामा की बातें बहुत, काम बहुत कम! क्या आपको लगता है शिवराज जी की ये “ममता” असली है या सिर्फ कैमरों के लिए ?

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