शहर से लेकर गांव तक हर गली मोहल्ले में बिक रही शराब, ईसके पीछे एकमात्र कारण आबकारी विभाग का सुस्त एवं लचर रवैया।
धार। आबकारी विभाग की सुस्त कार्य प्रणाली के कारण जिले में खूब फल फूल रहा शराब का व्यवसाय। हालांकि यह शराब लाइसेंसी शराब दुकानों से ही सप्लाई की जा रही है। शराब विक्रेताओं ने अपनी लाइसेंसी शराब दुकान से शराब सप्लाई करने के लिए डायरी का नाम प्रचलित कर रखा है। यह वही डायरी है जिसे शराब विक्रेता ग्रामीणों को छोटे-छोटे लाइसेंस प्रदान करते हैं। इस डायरी के आधार पर ग्रामीण शराब ठेकेदारों से प्राप्त शराब को गांव में अधिक मूल्य पर बेचते हैं। जिन शराब के छोटे-छोटे पावों पर अंकित मूल्य होता है उसे 10 से ₹20 तक अधिक में खुलेआम बेची जा रही है।
इस प्रकार के शराब व्यवसाय में आबकारी की अहम भूमिका नजर आती है —
सूत्रों की माने तो ग्रामीणों द्वारा जब वाहनों को पकड़ा जाता है तब आबकारी विभाग टेंपरेरी परमिट के नाम पर फर्जी दस्तावेज बनाकर इन शराब विक्रेताओं के वाहन को बचा लेते हैं। कुछ समय पूर्व की एक घटना है, जिसमें नट नागरा तालाब के आसपास ग्रामीणों द्वारा एक शराब से भरे वाहन को पड़कर कोतवाली थाने पर खड़ा कर दिया गया था। धार कोतवाली पुलिस को टेंपरेरी परमिट दिखाकर गाड़ी छुड़वा ली गई थी। जबकि साफ जाहिर होता है कि इतनी बड़ी मात्रा में शराब से भरी हुई गाड़ी अवैध शराब के रूप में ही मानी जाएगी, जिस पर आबकारी अधिनियम की धारा 34-2 के तहत प्रकरण बनना वाजिब था।
शराब दुकान से एक व्यक्ति को सिर्फ दो बोतल देने का ही प्रावधान है —
आपको बता दे की आबकारी अधिनियम के अनुरूप लाइसेंसी शराब दुकान से एक व्यक्ति को दो बोतल शराब और एक पेटी बियर से अधिक नहीं दी जा सकती है। इतना ही नहीं शराब दुकानों से शराब भरकर सप्लाई नहीं की जा सकती है। सिर्फ और सिर्फ खेरची बिक्री ही की जा सकती है। बावजूद उसके धार जिले की शराब दुकानों से थोक में गाड़ियां भर-भर कर ग्रामीण क्षेत्रों में शराब सप्लाई की जा रही है। उसे यह शराब विक्रेता डायरी के नाम पर प्रदाय करते हैं।
विभागीय अधिकारी मिडिया को जवाब देने से बचते रहते है !
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