जिला चिकित्सालय में अव्यवस्थाओं का आलम, सिस्टर, आया बाई, स्वीपर नहीं करते अपना कार्य, मरीजों के साथ होता रहता अभद्र व्यवहार ? आंखों देखी घटनाओं से मन हुआ व्यथित!
जिला अस्पताल के प्रसूति आपरेशन वार्ड में मरीजों के परिजन यूरिन बैग, चादर स्वयं बदलते हैं!
वार्ड के शौचालय हुए चौक, पानी के अभाव में मल मूत्र की गंदगी फैली चारो ओर।
धार। (राकेश साहू) जिला (भोज) चिकित्सालय में अव्यवस्थाओं का आलम निर्मित। मरीजों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। राज्य सरकार ने जिला अस्पताल में आम जनता के लिए अनेक जनहितैषी योजनाओं को लागू किया गया है। किंतु धरातल की स्थिति अत्यंत ही दयनीय ओर दुखदायी हो चुकी हैं। जिला अस्पताल में गरीब आदिवासियों की कोई सुनने वाला नहीं है। योजनाएं सिर्फ कागजों पर खानापूर्ति कर संचालित की जा रही हैं।
जिला अस्पताल में आंखों देखी घटनाएं देखकर मन व्यथित सा हो जाता है!
आपको बता दें कि जब संवाददाता ने जिला अस्पताल के ट्रामा सेंटर में स्थित प्रसूति आपरेशन वार्ड में भर्ती महिलाओं की स्थिति तब वह नजारा देखकर रोंगटे खड़े हो गए।
वहां उपचारित मरीजों के परिजनों ने बताया कि इस वार्ड की स्टाफ नर्स का कार्य व्यवहार, अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए मरीजों को डराया धमकाया जाता हैं और पलंग की बैडशीट बदलने के लिए मरीज के परिजनों को दे दी जाती हैं, चिकित्सालय स्टाफ के द्वारा नहीं बदली जाती हैं, इसी प्रकार दवा गोलियां काउंटर पर बुलाकर दे दी जाती हैं, उन्हें समय पर कैसे देना है, सिस्टर को इससे कोई लेना देना नहीं है। चूंकि महिलाओं की प्रसूति आपरेशन से हुई होती है उन्हें कैसे करवट दिलाई जाएं यह भी कार्य सिस्टर नहीं करती है। सारे कार्य मरीज के परिजनों को ही करना पड़ते हैं, चाहे मरीज के टांके टूट जाएं।
यूरिन बैग मरीज के परिजनों को बदलना पड़ रहे है!
जिला अस्पताल के प्रसूति आपरेशन वार्ड में आपरेशन से हुई डिलेवरी के कारण मरीज चल फिर नहीं सकता हैं और स्वयं उठ बैठ भी नहीं सकता हैं। ऐसी स्थिति में मरीज को यूरिन बैग दी जाती हैं जिसे खाली करने के लिए न तो कोई आया बाई हैं और न ही स्वीपर यह कार्य भी मरीजों के परिजनों को करना पड़ता है।
शौचालय हुए चौक, पानी की व्यवस्था भी नहीं, चारों तरफ मलमूत्र पसरा पड़ा।
जिला अस्पताल के ट्रामा सेंटर स्थित प्रसूति आपरेशन वार्ड में शौचालय पूरी तरह से चौक हो चुका हैं, उसमे गंदगी और जल भराव की स्थिति बनी हुई है। उक्त शौचालय में पानी ही नहीं है। शौचालय पूरी तरह से भर चुका हैं जिससे मलमूत्र शौचालय के अंदर ही बिखरा पड़ा हुआ है। ऐसी स्थिति में मरीज बीमार न हो तो भी इन्फेक्शन फैल सकता हैं और बीमार होने की पूरी संभावना बनती है। नवजात शिशु बहुत कोमल होता हैं, वह तो बीमार हो ही जाता है। वार्ड में एक टाइम झाड़ू और पोंछा लगाया जाता हैं। पोंछा लगाने वाले पानी में फिनायल की जगह अन्य कोई पदार्थ डाला गया जिससे मरीजों को सांस लेने में भारी दिक्कत होती रहती है।
प्रसूति महिलाओं को मीनू अनुसार नहीं दे रहे भोजन।
राज्य सरकार ने प्रसूति वार्ड में भर्ती महिलाओं को अलग से उनका मीनू अनुसार भोजन दिए जाने के निर्देश दिए गए हैं, किंतु जिला अस्पताल में सिर्फ थूली, थोड़ा सा दूध, सब्जी रोटी दी जाती हैं। फल फ्रूट, ब्रेड, लड्डू आदि सब कुछ गायब हैं।
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