madhyabharatlive

Sach Ke Sath

The dual character of the Kotwali police and their biased working style came to the fore

The dual character of the Kotwali police and their biased working style came to the fore

कोतवाली पुलिस का दोहरा चरित्र, पक्षपातपूर्ण कार्यप्रणाली आई सामने

कोतवाली पुलिस की दोहरी कार्य प्रणाली आई सामने। 

धार। वैसे तो जग जाहिर है कि पुलिस थाने में जाने के बाद बगैर पैसे से कोई काम नहीं होता और यह सही भी है। पुलिस बगैर लिए-दिए कोई काम नहीं करती। इसके कई प्रमाण है हमारे पास। बात अगर किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति या किसी नेता की आ जाए तब भी यह लोग जोड़-तोड़ में लग जाते हैं कि यार यह किसके परिचित है, किसका फोन आएगा, क्या है यह, क्या मामला है, माल मिलेगा या नहीं।

इन सब चीजों के बाद निष्कर्ष निकाल कर आता है तब यह लोग प्रभावशाली व्यक्ति के कहने पर बगैर किसी जांच या आवेदन के सीधे एफआईआर दर्ज कर देते हैं।

इसके उल्टा अगर कोई पीड़ित व्यक्ति थाने पर जाता है तो वह पुलिस के सामने अपने आप को असहाय महसूस करता है। पुलिस सवालों की झड़ी लगा देती है। कहां हुआ, कब हुआ, कैसे हुआ किसने देखा क्या सबूत है। चलो ठीक है आवेदन दे दो हम जांच करते हैं। उसके बावजूद कभी उस व्यक्ति के कहने पर FIR दर्ज नहीं होती, फिर पुलिस आव-भाव प्रभाव में कैसे FIR कर देती हैं।

हालही के ताजे मामले का उदाहरण क्रमांक- 1 — बड़ा सवाल ??

हाल ही के ताजा मामले में शराब ठेकेदार के कर्मचारी पर हुए हमले के बाद शराब ठेकेदार के कर्मचारियों द्वारा बताया गया था कि उनके साथ 20 लाख की लूट हुई। पुलिस ने लूट की धाराओं में एफआईआर दर्ज क्यों नहीं की ? जबकि उसने स्पष्ट रूप से कहा था कि मेरे साथ मारपीट की गई और लूट की गई सोने की चेन भी छीनी गई। पुलिस ने सिर्फ मारपीट की धाराओं एवं जानलेवा हमले की धारा के अलावा आज तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई ???

हालही के ताजे मामले का उदाहरण क्रमांक- 2 — बड़ा सवाल ??

कुछ समय पहले देलमी में एक बड़ा विवाद हुआ था, जिसमें एक पक्ष के करीब 6 लोगों को चोट आई थी। जो पक्ष महिला पक्ष था। जिन्हें ससुराल वालों ने मार कूट के भगा दिया था और जब सामाजिक रूप से बैठकर समझाने बात करना चाहा तब लड़का पक्ष ने पीड़ित महिला परिवार वालों के ऊपर हमला कर दिया। जिसमें पुलिस द्वारा उस पक्ष के कहने पर FIR की जगह NCR काट दी गई थी। बाद में दूसरे पक्ष ने भाजपा के मंडल कमंडल की नेतागिरी लगाकर अपने पक्ष में क्रॉस करवाते हुए NCR कटवा दी थी।

हालांकि देखा जाए तो यह बात सही भी है कि जब भी दो पक्षों का विवाद होता है, पुलिस दोनों की ओर से क्रॉस FIR करती है। तो फिर एक प्रतिष्ठित व्यक्ति के साथ इस प्रकार का पक्षपात क्यों ??

आपको बता दें की एक ताजा मामले में पुलिस ने एक पक्ष की ओर से कार्रवाई करते हुए दूसरे पक्ष पर एफआईआर दर्ज कर दी थी। दूसरे पक्ष के द्वारा कई शिकायती आवेदन दिए गए, सीएम हेल्पलाइन भी की गई। पुलिस द्वारा सीएम हेल्पलाइन का निराकरण आज तक नहीं किया गया, उल्टा द्वितीय पक्ष पर लगातार दबाव बनाया गया, सीएम हेल्पलाइन उठाने के लिए।

जब द्वितीय पक्ष द्वारा सीएम हेल्पलाइन नहीं उठाई गई तो पुलिस द्वारा निराकरण में लिख दिया गया कि उक्त व्यक्ति के ऊपर एफआईआर दर्ज हो गई इसके बचाव में उक्त व्यक्ति द्वारा सीएम हेल्पलाइन की गई। इसलिए इस शिकायत को नस्तीबद्ध किया जाए।

जब किसी व्यक्ति को न्याय नहीं मिलता तभी वह व्यक्ति सीएम हेल्पलाइन का उपयोग करता है —

हालांकि तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बहुउद्देशीय योजना सीएम हेल्पलाइन का उद्देश्य भी यही है। जब किसी को न्याय नहीं मिले या उसके साथ पक्षपात किया जाय तब वह सीएम हेल्पलाइन का उपयोग करें, जिससे वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत करवाया जा सके और CM खुद भी सीएम हेल्पलाइन के शिकायतकर्ताओ से चर्चा कर इस हेल्पलाइन की मॉनिटरिंग करते हैं।

अब देखना होगा कि क्या पुलिस की यह एक पक्षीय कार्यवाही कहां तक टिक पाती है। हालांकि द्वितीय पक्ष ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। न्यायालय के माध्यम से परिवाद दायर कर, संबंधित थाने पर नोटिस दिया जाएगा।

संपादक- श्री कमल गिरी गोस्वामी