धार। शहर में क्राइम कंट्रोल और लॉ-इन ऑर्डर का अनुसरण करवाने के उद्देश्य से कोतवाली थाने की स्थापना अंग्रेजो के समय में की गई थी। कोतवाली थाने का मतलब होता है कि शहर में अमन चैन और शांति को कायम रखना, वहीं कोतवाली थाने पर लगातार सिर्फ बैठक और डीलिंग के अलावा अन्य कोई कार्य नहीं होता।
धार जिले में स्थापित धार शहर कोतवाली थाना लगातार अवैध धंधो और दबंगों के हाथ की कठपुतली बनता जा रहा है, यहां पर बगैर सोचे समझे किसी के भी नाम पर एफआईआर दर्ज हो जाती है।
वहीं अगर बात पत्रकारों की जाये तो इनको कहने को तो लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है, पर जब मुकदमा कायम करने की बात हो तो सबसे पहले पत्रकारों की ना सुनने में कोतवाली थाना नंबर वन है। यहां पर पत्रकारों के खिलाफ कोई भी मुकदमा या किसी भी प्रकार का प्रकरण बगैर सोचे समझे दर्ज किया जाता है।
आपको बता दे की कुछ ही दिन पूर्व कोतवाली थाना अंतर्गत देलमी ग्राम में एक लड़की के ससुराल वालों ने बात करने के बहाने बुलाकर खूनी संघर्ष किया था, जिसमें दो पक्षों के बीच में एक पक्ष लड़के वालों की तरफ से खुले आम तलवार, लाठी चलाई जाती है, खूब पत्थर और तलवार बाजी होती है, इतना ही नहीं लगातार पत्थरों की बारिश होती है। इसके बीच में जब एक पक्ष शिकायत करने के लिए कोतवाली थाने पर पहुंचता है, तब कोतवाली थाने पर सिर्फ एन सी आर दर्ज करके इति श्री की जाती है।
ऐसा इस लिए होता है क्योंकि दूसरे पक्ष की ओर से धार के छूट भैया नेता जो कि दारू ओर सट्टे जैसे कार्यो में लिप्त है का फोन आ जाता है, जो की मंडल कमंडल कोतवाली थाने के दत्तक पुत्र हैं। जिन्होंने कोतवाली थाने के अंदर अपना रुतबा जमा रखा है, पैसे देने लेने के मामले में। वही बड़े लेनदेन के बाद कोतवाली पुलिस सिर्फ और सिर्फ दोनों पक्षों की ओर से क्रॉस एन सी आर करके मामला दबा देती है।
वही बात अगर कुछ समय पहले के एक मामले की, की जाए तो शराब ठेकेदार के कर्मचारी पर हमला होता है, जिसमें शराब ठेकेदार के कर्मचारी के हाथ में कुछ चोंटे आती है। उस पर कोतवाली पुलिस दम खम लगाकर 307 जैसी धारा के अंतर्गत मुकदमा दर्ज करती है।
उसके कुछ समय बाद पत्रकारों के आपसी विवाद का मामला आता है, जिसमें कोतवाली पुलिस बगैर सोचे समझे बगैर जांच किए एक वरिष्ठ पत्रकार के ऊपर मारपीट एवं अभद्र भाषाओं में गाली गलौज के साथ कई धाराओं में प्रकरण दर्ज कर लेती है। क्योंकि वहां भी पुलिस का कहीं ना कहीं लाभ शुभ का मामला होता है।
पुलिस चाहै पैसे ले या दबंगो के कहने पर एफ आई आर दर्ज करें यह कोतवाली पुलिस का एक आम मसला बन चुका है।
कोतवाली थाने पर कई लेनदेन के मामले मध्य भारत लाइव न्यूज़ के द्वारा प्रकाशित किए गए हैं। बावजूद उसके उक्त थाने पर आज तक जिला पुलिस अधीक्षक या फिर पुलिस उपमहानिरीक्षक ग्रामीण की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई, अब तो कार्रवाई होना संभव ही नहीं है।
आपको बता दे की हाल फिलहाल में जो पुलिस उपमहानिरीक्षक हैं वह धार जिले के पूर्व SP थे, जिन्हें धार जिले में कहां से किस प्रकार से क्या सेटलमेंट होता है, वह सारी चीजे पता है।

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