01/10/2025

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Sach Ke Sath

Inhumane attack on journalists: The collusion of drunk goons and police has ruined democracy!

Inhumane attack on journalists: The collusion of drunk goons and police has ruined democracy!

पत्रकारों पर अमानवीय हमला: शराब के नशेड़ी गुंडों और पुलिस की मिलीभगत ने लोकतंत्र की उड़ाईं धज्जियां!

इंदौर। (चंचल भारतीय) परदेसीपुरा की नशे की मंडी में शराबी माफिया ने टाइम्स ऑफ इंडिया के पत्रकार सागर चौकसे पर जानलेवा हमला किया, जिसने पूरे पत्रकार समुदाय को हिला कर रख दिया है। शराबियों के रौब और पुलिस की घोर नाकामी ने इस क्षेत्र को अपराधियों की पेटी बना दिया है। प्रशासन की उदासीनता और अक्षम कानून व्यवस्था ने नशेड़ी गुंडों को बेलगाम कर रखा है, जो लोकतंत्र की हत्या बराबर है।

यह स्थिति और भी खराब इसलिए है क्योंकि प्रदेश के मंत्री कैलाश विजयवर्गी ने सार्वजनिक मंच से पुलिस पर खुलकर नकेल कसने की नाकामी की कड़ी फटकार लगाई है, जबकि भाजपा विधायक रमेश मेंदोला भी इस मामले में कड़ी जवाबदेही की मांग कर चुके हैं। बावजूद इसके ये नशेड़ी माफिया और पुलिस की मिलीभगत वाला गंदा खेल जारी है।

सुपरिचित तस्वीर यह भी है कि इंदौर में पुलिस कमिश्नरी कानून की धज्जियां उड़ाते हुए कई शराबी खुलेआम सड़क पर पेशाब करते हुए नज़र आ रहे हैं, जो कानून व्यवस्था की बेहाली और पुलिस की गंभीर घटिया मानसिकता का खुला प्रमाण है।

इंदौर प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष दीपक कदम, अंकुर जायसवाल और वरिष्ठ पत्रकारों ने हमले के तुरंत बाद आरोपी की गिरफ्तारी कराई, लेकिन नशेड़ी माफिया और पुलिस के सांठगांठ के चलते भय और असुरक्षा का माहौल कायम है। ऐसे अपराधियों को कोई रिहाई नहीं मिलनी चाहिए, बल्कि कड़ी से कड़ी सजा देकर पत्रकारों की सुरक्षा और लोकतंत्र की गरिमा बचानी होगी।

यह दर्दनाक घटना साफ कर देती है कि नशे की लत, गुंडागर्दी और कानून व्यवस्था की विफलता ने हमारे समाज को कितना बर्बाद कर दिया है। अब वक्त आ गया है कि प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गी और विधायक रमेश मेंदोला की चेतावनी को गंभीरता से ले, नशेड़ी माफिया और पुलिस की मिलीभगत के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। वरना यह लोकतंत्र और मानवता दोनों के लिए बड़ा ज़ख्म साबित होगा।

पत्रकारों की सुरक्षा, लोकतंत्र की प्राथमिकता !

क्या आपको लगता है कि अब प्रशासन ठोस कदम उठाएगा या फिर इस हाशिए पर धकेले गए वर्ग की आवाज दबाते रहेंगे ?

संपादक- श्री कमल गिरी गोस्वामी