विधायक के द्वारा अवैध शराब खोरी के मुद्दे उठाने के बाद नगर परिषद अध्यक्ष के बेटे खुद कर रहे हैं अवैध शराब का व्यापर।
अवैध शराब को लेकर राजगढ़ नगर में हो रही कालाबाजारी।
सरदारपुर/धार। जहां एक और संपूर्ण धार जिले में अवैध कारोबारियों को लेकर के जिला पुलिस अधीक्षक अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं। वहीं सरदारपुर के क्षेत्रीय विधायक भी अवैध शराब को लेकर मैदानी स्तर पर उतरे हुए हैं। सरदारपुर विधायक सर प्रताप ग्रेवाल के द्वारा भी कई बार अवैध शराब को लेकर के अनुविभागीय अधिकारी पुलिस एवं अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को ज्ञापन देकर के अवैध शराब खोरी के विरुद्ध मोर्चा खोल रखा है।
वही विधायक महोदय द्वारा विधानसभा सत्र व असेंबली में भी अवैध शराब को लेकर के क्षेत्र में हो रहै अवैध कारोबार को बंद करने के लिए मुद्दा उठाया गया है। बावजूद उसके सरदारपुर व राजगढ़ क्षेत्र में खुलेआम अवैध शराब खोरी जारी है, अवैध शराब खोरी का आलम यह है कि यहां पर कहने को तो आबकारी अधिनियम के तहत एक व्यक्ति को शराब लाइसेंस की दुकान से सिर्फ और सिर्फ दो बोतल ही दी जा सकती है लेकिन यहां से खुलेआम तूफान गाड़ियों में भर भर के शराब सप्लाई की जा रही है।
नहीं होता है डायरी बनाने का अधिकार —
आबकारी अधिनियम के अंतर्गत अगर देखा जाए तो किसी भी शराब ठेकेदार को सब ठेका देने का अधिकार नहीं होता है। उसके लिए आबकारी अधिकारी या आबकारी एक्ट के तहत स्पेशली कोई लाइसेंस लिया जाता है। एक दिन हो या 10 दिन हो या 1 साल का माइक्रो सूक्ष्म लाइसेंस के रूप में दुकान का लाइसेंस लिया जाता है। पर यहां पर ऐसा कोई नियम लागू नहीं होता। यहां पर शराब ठेकेदार खुलेआम तूफान गाड़ियों में या बोलेरो गाड़ियों में भरकर शराब ग्रामीण अंचलों में सप्लाई करते हैं। जिन्हें डायरी कहा जाता है, डायरी का मतलब यह होता है कि ग्रामीण क्षेत्र में कोई भी व्यक्ति अपनी दुकान पर शराब भेच सकता है।
उसमें सबसे बड़ी बात यह होती है कि शराब ठेकेदार उनके ढिकाने पर शराब पहुंचाता है। थोक में 10 से 20 पेटी उसके यहां पहुंचा देता है। उसके बाद वह व्यक्ति अपने ग्रामीण अंचल में खुलेआम शराब विक्री करता है। जिसे अवैध शराब ही कहा जाता है, क्योंकि शराब दुकान से किसी भी व्यक्ति को दो बोतल से ज्यादा शराब ले जाने की अनुमति नहीं है, फिर यह व्यक्ति गाड़ियों में भर भर कर शराब क्यों ले जाते हैं। इन सब का मामला आबकारी अधिकारी के नॉलेज में होने के बावजूद भी यह सारे कार्य खुलेआम हो रहे हैं।
सैया भऐ कोतवाल अब डर काहे का —
‘सैया भए कोतवाल अब डर काहे का’ इस कहावत को चरितार्थ करती राजगढ़ नगर की आबकारी प्रणाली। यहां पर आपको बता दे कि विगत कई वर्षों से विधायक कांग्रेस के ही हैं उसके बाद नगर पालिका परिषद अध्यक्ष भी कांग्रेस के ही हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि इस मामले में नगर परिषद अध्यक्ष के सपूत लाडले बेटे खुद शराब ठेकेदार हैं जिनका नाम सिद्धार्थ जायसवाल के नाम से फेमस है। सिद्धार्थ से जायसवाल अपने क्षेत्र में खूब अवैध शराब खोरी कर रहे हैं। यह शराब अधिनियम के कोई कायदे कानून नहीं मानते है, यह वही सिद्धार्थ जायसवाल हैं जिनकी गाड़ी कई बार कई थानों पर पकड़ी गई है। सन 2016 में दसई चौकी पर भी उनकी गाड़ी अवैध शराब परिवहन करते हुए पकड़ी गई थी।
आपको बता दे कि यह वही सिद्धार्थ जयसवाल हैं जिनका नाम कई बार अवैध फायरिंग या यूं कहें कि सीधे-सीधे गोलीबारी में भी आ चुका है। उसके बावजूद यह व्यक्ति जेल का एक फरारी मुजरिम या यूं कहे की सजा आपदा मुजरिम भी है। जो कई बार जेल काट चुके हैं। उसके बावजूद आदतन अपराधी के रूप में जिले में फेमस हैं। सरदारपुर क्षेत्र में कांग्रेस के विधायक के खास होने के दौरान विधायक प्रतिनिधि या यूं कहे कि विधायक का संरक्षण होना या फिर नगर परिषद अध्यक्ष का बेटा होना उनके लिए फायदे की बात हो रही है।
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