आश्रम में पंडिताई सीख रहे नाबालिगों से अनैतिक कृत्य…!
रश्मि बोलीं- बच्चे बुखार की हालत में तड़पते रहते, महंत खाली पेट गोलियां खिलाते।
उज्जैन। कर्मकांड, वेद और संगीत की शिक्षा के लिए प्रसिद्ध उज्जैन के बड़नगर रोड स्थित दण्डी आश्रम में बच्चों का यौन शोषण करने का मामला सामने आया है। आश्रम में पढ़ने वाले बच्चों की शिकायत पर महाकाल पुलिस ने आश्रम के आचार्य और सेवादार के खिलाफ मामला दर्ज कर आचार्य को गिरफ्तार किया है। जबकि, सेवादार फरार है।
बिते मंगलवार की देर रात उजागर हुए मामले में पहले 3 बच्चों का शोषण होने की बात सामने आई थी। लेकिन, बुधवार को धीरे-धीरे मामले से परतें हटती गईं और आश्रम के एक के बाद एक 19 बच्चों ने सेवादार और आचार्य की करतूतों के खिलाफ बयान दिए है।
आपको बता दे की दण्डी आश्रम करीब 30 साल से संचालित है, इसके संचालक गजानंद सरस्वती हैं। उन्होंने पुलिस जांच में सहयोग करते हुए बताया कि चैत्र नवरात्र के दौरान सेवादार अजय ठाकुर की शिकायत मिलने पर उसे आश्रम से बाहर कर दिया था।
बच्चों के अभिभावक हुए एकजुट —
मंगलवार को हुई बैठक में 20 से अधिक बच्चों के पेरेंट्स आए थे। उनके बच्चों ने सेवादार अजय की शिकायत की थी। बैठक में एक-एक बच्चे को बुलाकर अजय के बारे में जानकारी ली, लेकिन इसी दौरान एक बच्चे ने रोते हुए आचार्य राहुल शर्मा का नाम भी लिया। इसके बाद बच्चों के अभिभावकों ने आपा खो दिया। राजगढ़, मंदसौर और देवास जिले के किशोरों ने पुलिस को बताया कि पिछले कई दिन से अजय ठाकुर और राहुल शर्मा उनका यौन शोषण कर रहे थे। दोनों उन्हें अपने कमरे में बुलाते थे।
कैसे आया मामला सामने —
शिकायतकर्ता बोली-कमरे से आती थीं चीखने की आवाजें। मेरा बच्चा भी एक साल से आश्रम में रहकर पढ़ाई कर रहा है। मैं अक्सर उससे मिलने आती थी। मुझे बच्चों के साथ अमानवीय बर्ताव देखने को मिलता था। कई बच्चे बुखार में तड़पते रहते थे। उनकी कोई सुध लेने वाला नहीं होता था।
मैं अक्सर महंत जी को शिकायत करती थी लेकिन वो कोई एक्शन नहीं लेते। मैं उनसे बार-बार शिकायत कर परेशान हो चुकी थी। मैंने सोच लिया था कि एक साल बाद परीक्षा होने पर अपने बच्चे को इस दलदल में नहीं रहने दूंगी।
यह कहना है रश्मि शर्मा का। आपको बता दे की रश्मि ही वह महिला है, जिसकी वजह से उज्जैन के दंडी सेवा आश्रम में यौन शोषण के मामले का खुलासा हुआ है। इस पूरे मामले को सामने लाने में रश्मि ने अहम भूमिका निभाई है।
रश्मि का बेटा भी इसी आश्रम में पढ़ता है। उसी ने 16 अप्रैल को आश्रम प्रबंधन से छुप कर मां को कॉल किया था। इसके बाद वह आश्रम पहुंची, पूरे मामले की जानकारी ली। पेरेंट्स का एक वॉट्सऐप ग्रुप तैयार किया। ग्रुप पर डिस्कस करने के बाद सभी पेरेंट्स 30 अप्रैल को आश्रम पहुंचे थे। इसी के बाद कुकर्म कांड का खुलासा हुआ।
रश्मि बोलीं- बच्चे बुखार की हालत में तड़पते रहते, महंत खाली पेट गोलियां खिलाते।
रश्मि कहती हैं कि मेरे दो बेटे हैं। पति का निधन हो चुका है। में एक ब्यूटी पॉर्लर में काम करती हूं। साल 2020-21 में मैंने अपने बड़े बेटे का आश्रम में एडमिशन कराया था। जब वह कक्षा नौवीं में था तो कुछ निजी कारणों की वजह से उसे वापस बुला लिया। इसके 6 महीने बाद 2022-23 में मैंने छोटे बेटे का 8वीं में एडमिशन कराया। उसे वहां पढ़ते हुए करीब एक साल होने वाला है।
रश्मि आगे कहती हैं कि एक बार देखा कि बच्चे बुखार में तड़प रहे हैं। इसके बाद मैंने वहां के मुख्य महंत को कहा-देखिए, बच्चों को बुखार है। उनका इलाज करवाइए। मेरे कहने पर महंत हाथ में ढेर सारी गोलियां लेकर आए और उन बच्चों को खिला दीं।
उन्होंने ये भी नहीं देखा कि बच्चों ने खाना खाया या नहीं? उन्हें खाली पेट ही दवा दे दी। कुछ देर मैं वहां रही तो देखा कि जिन बच्चों ने गोलियां खाई थीं, वे बाथरूम में बेहोश होकर गिर पड़े। इन्हीं सब बातों को लेकर अक्सर मैं महंत को शिकायत करती थी कि आप पेरेंट्स से 25 हजार रु. फीस ले रहे हैं लेकिन बच्चों को सुविधा नहीं दे रहे हैं।
मैं खुद फीस कैसे भरती हूं, ये मैं खुद जानती हूं। महंत मेरी बातों को केवल सुनते थे कोई एक्शन नहीं लेते थे। इसके बाद मैंने महंत को कहना छोड़ दिया और आश्रम की व्यवस्थाओं को अनदेखा करना शुरू कर दिया।
वे कहती हैं- मैं अपने बेटे से मिलने हर महीने आश्रम जाती थी। उससे मिलकर और सामान देकर वापस आती थी। इस दौरान मुझे कुछ ऐसी बातें देखने को मिलीं, जो अमानवीय थीं। आश्रम में बच्चे खुले में रहते थे। बाथरूम गंदगी से भरे हुए थे। बच्चों को एक कमरे में जानवरों की तरह ठूंसकर रखा गया था। उनके बिस्तर भी साफ नहीं थे।
केस दर्ज कर लिया गया है। अभी अजय फरार है। आश्रम में 5वीं से 12वीं तक के 80 बच्चे हैं। सभी आश्रम में रहकर संस्कृत, कर्मकांड, ज्योतिष, संगीत और वेद का अध्ययन करते हैं। पीड़ित बच्चों की उम्र 11 से 15 साल तक है। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जयंत राठौर उज्जैन।
संपादक- श्री कमल गिरी गोस्वामी
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