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प्रत्याशी और नेता नीचे उतरे और कांग्रेस कार्यालय में लग गए ताले

अहिल्या प्रतिमा पर माल्यार्पण कर लौटे तो ताले देख बगले झांकने लगे नेता।

इंदौर। इंदौर जैसी जटिल सीट पर कांग्रेस को बमुश्किल कांग्रेस को पढ़ा लिखा और खर्च करने वाला युवा चेहरा नसीब हुआ है। पर शायद कांग्रेसी इंदौर से टिकट तय होना ही अपनी सबसे बड़ी चुनावी उपलब्धि मान रहे है। इसीलिए प्रत्याशी को छोड़ कोई भी चुनाव को गंभीरता से नहीं ले रहा। नेताओं के इसी रवैये का कारण रविवार को कांग्रेस प्रत्याशी डॉ अक्षय कांति बम, पूर्व मंत्री सज्जनसिंह वर्मा सहित तमाम नेताओं के बीच खासी हास्यास्पद स्थिति बन गई। कांग्रेस प्रत्याशी को साथ लेकर नेता जुलूस बना कर देवी अहिल्या की प्रतिमा पर माल्यापर्ण करने गए। माल्यापर्ण कर पुन: गांधी भवन पहुंचे तो गेट पर ताले डले मिले। नेता हैरान थे और कार्यकर्ता खीसे निपोर रहे थे।

परिचय बैठक के बाद होना थी संगठनात्मक बैठक —-

टिकट तय होने के बाद डॉ अक्षय बम पहली बार कांग्रेसियों से मुखाबित होने कांग्रेस कार्यालय गांधी भवन पहुंचे थे। इस परिचय बैठक में जोश भरी बाते उन्होंने कार्यकर्ताओं के बीच कही। पार्टी की परम्परा अनुसार ठसाठस अंदाज में मंच पर लदे कांग्रेसियों ने भी जोश भरे भाषणों कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। लंबी भाषणबाजी के बाद देवी अहिल्या की प्रतिमा पर माल्यापर्ण की घोषणा की गई। नारेबाजी करते हुए एक जुलूस के रूप में पैदल सभी नेता राजबाड़ा की और रवाना हो गए।

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस कार्यालय से राजबाड़ा महज दो सौ मीटर की दूरी पर है। माल्यार्पण के बाद गांधी भवन में संगठनात्मक बैठक होना थी। लिहाजा सभी नेता और कार्यकर्ता पुन: गांधी भवन आ गए। मुख्य द्वार पर ताला झुल रहा था जिसे देख सभी हैरान थे। प्रत्याशी अक्षय बम, वर्मा के अलावा शहर कांग्रेस अध्यक्ष सुरजीत चड्ढा, कार्यवाहक अध्यक्ष देवेंद्रसिंह यादव, वरिष्ठ नेता राजेश चौकसे, गिरधर नागर, अमन बजाज सहित अनेक नेता हतप्रभ से एक दुसरे का मूंह ताकते रहे।

प्रभारी संगठन मंत्री को लाना पड़ी चाबी —

इस मौके पर प्रभारी संगठन मंत्री महेंद्र रघुवंशी भी थे। वे ही दौड़ कर गांधी भवन के पिछले हिस्से में रहने वाले कर्मचारी के घर से चाबी लाए और ताला खोला। अजीबो गरीब परिस्थित में कांग्रेस प्रत्याशी सहित तमाम नेता आधे घंटे से भी ज्यादा समय तक सड़क पर ताला खुलने की बाट जोहते रहे। बहरहाल कार्यालय का दौबारा ताला खुला और इसके बाद वरिष्ठ नेताओं की चुनाव को लेकर मंत्रणा शुरू हो सकी।

प्रधान संपादक- कमलगिरी गोस्वामी

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