हरि और हर का अदभुद मिलन… !
पुलिस वालों के परिजन बने वीआईपी…
ऐसी घटना की पुनरावृत्ति फिर कभी न हो।
जानें आंखों देखा हाल…
उज्जैन। (सूरज मेहता) बीती रात उज्जैन की जनता हरि और हर मिलन के अदभुद अवसर के साक्षी बने। यह सुनहरा मौका वर्ष में एक बार आता है जिसे देखने की इच्छा पूरे शहर के नागरिकों की रहती है। प्रभु के दर्शन की यही लालसा लिए महिलाएं और बच्चे भी बड़े उत्साह से देर रात तक जुटे रहे लेकिन यहां इन श्रद्धालुओं के साथ पुलिस ने बहुत अभद्र व्यवहार किया हालात इस कदर बिगड़ने लगे की भगदड़ जैसी स्थिति भी बनती दिखाई दी। भगवान महाकाल की कृपा रही हादसा होते होते टल गया। इस बार पुलिस वालों के परिजन बन गए वीआईपी।
आम श्रद्धालुओं ने सूरज मेहता को मौके की वास्तविक स्थिति बताई जो बड़ी चौंका देने वाली गंभीर घटना है। आने वाले समय में इस फीड बैक को ध्यान में रखकर ऐसे आयोजन करना चाहिए वरना निर्दोष श्रद्धालु प्रशासन की लापरवाही से हादसे की भेंट चढ़ जाएंगे और जनप्रतिनिधि और सरकार मगरमच्छ के आंसू बहाते नजर आएंगे।
हरि और हर के मिलन का यह दुर्लभ कार्यक्रम सिर्फ उज्जैन में होता है। महाकाल राजा सृष्टि का भार सौंपने हरि के पास गोपाल मंदिर पहुंचते हैं। यह सब श्रद्धालुओं को बेहद आकर्षित भी करता है और रोमांचित भी। जब श्रद्धालु प्रसन्न होकर भगवान के दर्शन करने आते हैं तो उनको मिलता है धक्का मुक्की अभद्रता और अपमानित होने का प्रसाद।
गोपाल मंदिर परिसर में भारी अव्यवस्था का आलम देखने को मिला। यहां पर हमेशा जनप्रतिनिधि और नेतागिरी का जमावड़ा लग जाता है। जिससे व्यवस्था चरमरा जाती है। इस बार आचार संहिता के डर से कोई पार्षद नेता और छुटभेया यहां नहीं पहुंचा तो मौके का पुरा फायदा पुलिस वालों के परिजन ने उठाया। पहले से जो श्रद्धालु दर्शन करने मन्दिर परिसर में पहुंचे थे उन्हें अपमानित करके कीड़े मकोड़े की तरह वहां से भगा दिया गया और उनके स्थान पर पुलिस वालों ने अपनी पत्नी और बच्चों तथा अन्य रिश्तेदार को प्रवेश करवाया। या तो समय से पहले पहुंचने वाले इन श्रद्धालुओं को यहां प्रवेश ही नहीं देना चाहिए। कोई तो नियम प्रोटोकाल बनाया जाए।
अभी तो हादसा होते होते टल गया लेकिन भविष्य में गोपाल मन्दिर परिसर में सिर्फ गिनती के लोगों को अनुमति के आधार पर ही प्रवेश दिया जाना चाहिए।
ब्राह्मणों के साथ अभद्रता कर उन्हें परिसर से बाहर किया
इस अवसर पर एक बात और गौर करने वाली रही। यहां कुछ ब्राह्मण जो प्रतिदिन नियमित दर्शनार्थी बताए जाते हैं पूर्ण वेशभूषा में दर्शन के लिए आए थे लेकिन उनको बाहर कर शर्ट पेंट जींस टी शर्ट वाले लफंगों को प्राथमिकता दे दी गई। बात सिर्फ़ ब्राह्मण होने की नहीं बल्कि मन्दिर परिसर में ड्रेस कोड की भी है। अब समय आ गया है कि मन्दिर में उसे ही प्रवेश दिया जाए जो धोती कुर्ता और कुर्ता पजामा पहने।
प्रसाद वितरण का भी नहीं कोई नियम
यहां पर महाकाल राजा अपने साथ मिठाई ड्रायफुट आदि सामग्री जनता में प्रसाद वितरण करने के लिए लाते हैं लेकिन व्यवस्थित तरीके से इनको श्रद्धालुओं तक नहीं पहुंचाया जाता। इसे लेकर भी श्रद्धालुओं में रोष देखा गया।
प्रशासन को एक एक बिंदु पर पुरी गहराई से अध्ययन करना चाहिए क्योंकि आने वाले समय में भीड़ बढ़ती जाएगी और प्रशासन की लापरवाही निर्दोष श्रद्धालुओ की मौत का कारण बन जाएगी।
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