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जिला चिकित्सालय को खुद चिकित्सकों की आवश्यकता!

धार। जिला चिकित्सालय में लगा अव्यवस्थाओं का अंबार। चिकित्सालय के हाल बेहाल। जिम्मेदारों का ध्यान नहीं इस ओर। वैसे तो जिला चिकित्सालय अपनी अव्यवस्थाओं के चलते हमेशा मीडिया की सुर्खियों में बना रहता है। बावजूद इसके जिला चिकित्सालय में व्यवस्थाओं का हाल बेहाल है।

जिला चिकित्सालय में शासन के द्वारा करोड़ों अरबो रुपए की लागत से कई बिल्डिंग बनाए गए हैं। कोरोना काल के दौरान भी कई बिल्डिंग जिला चिकित्सालय में निर्मित किए गए थे। इसके बावजूद जिला चिकित्सालय में मरीजों को भर्ती करने के लिए एक बेड पर दो-दो मरीजों का उपचार किया जा रहा है। आसानी से देखा जा सकता है कि जिला चिकित्सालय में महिला वार्ड के अंदर एक बेड पर दो महिलाओं को इलाज दिया जा रहा है। क्या जिला चिकित्सालय में इतनी जगह नहीं कि मरीज को एक बिस्तर पर एक मरीज को रखा जा सके या फिर क्या जिला चिकित्सालय में मरीज बेड की व्यवस्था नहीं है या फिर बिल्डिंग की कमी है।

जिला चिकित्सालय को खुद चिकित्सकों की आवश्यकता!

गौरतलब है कि जिला चिकित्सालय करीब 300 बेड से अधिक का चिकित्सालय है। जिसमें एक साथ 300 मरीज का इलाज किया जा सकता है। उसके बाद ट्रामा सेंटर में करीब 200 मरीजों की व्यवस्थाएं है इसके अलावा आईसीयू में अलग व्यवस्था है। महिला सर्जिकल वार्ड अलग है। साथ ही पुरुष सर्जिकल वार्ड अलग हैं। वृद्ध जनों के लिए आईसीयू अलग से बनाया गया है। बावजूद इसके एक बेड पर दो मरीजों को रखने का क्या तात्पर्य है सीधे से देखा जाए तो जिला चिकित्सालय प्रशासन की लापरवाही सामने आ रही है।

जिला चिकित्सालय को खुद चिकित्सकों की आवश्यकता!

ड्यूटी डॉक्टर नहीं आते समय से

जिला चिकित्सालय में ड्यूटी डॉक्टर समय से नहीं आते हैं। इतना ही नहीं कई चिकित्सक तो हफ्ते में एक या दो बार ही मुंह दिखाई की रसम अदा करने जिला चिकित्सालय में पधारते हैं।

वर्षों से जमे हैं रसूखदार कर्मचारी

विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिला चिकित्सालय में कई चिकित्सक व कर्मचारी वर्षों से जमे हुए हैं। जिन्हें कभी स्थानांतरण का भई नहीं हुआ। क्योंकि उनका रसूक या यूं कहे कि राजनीतिक संरक्षण प्राप्त हैं।

प्रधान संपादक- कमलगिरी गोस्वामी

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