अपना बाटे रेवड़ी और घर-घर के खाए, मामला :- मनरेगा में नियम विपरीत भुगतान करने का।
सरदारपुर/धार। Special Crime Reporter Madhya Pradesh – JP SHARMA- केंद्र के महत्वाकांक्षी महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत मध्य प्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद के आयुक्त एस कृष्ण चैतन्य द्वारा 4 मार्च 2024 को एक पत्र जारी कर जिला कार्यक्रम समन्वय अतिरिक्त जिला कार्यक्रम समन्वयक मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत को सामग्री भुगतान के संबंध में आदेशित किया गया था।
उक्त वित्तीय वर्ष 2022-23 तक के लंबित भुगतान के लिए राशि पूर्व में जारी की जा चुकी है। लेकिन पत्र जारी होने के दिनांक तक भी पूर्व वित्तीय वर्ष का भुगतान लंबित प्रदर्शित हो रहा था। उक्त भुगतान प्राथमिकता से किए जाने के आदेश तथा वित्तीय वर्ष 2023 24 हेतु वर्तमान में लंबित सामग्री भुगतान के आधार पर 390 करोड़ की राशि का भुगतान सीमा जारी की गई थी। लेकिन जिला पंचायत धार मैं पूर्व में पदस्थ अधिकारी द्वारा मनरेगा अंतर्गत 80% सामग्री एवं 20% मजदूरों पर व्यय वाले कार्यों की एक लंबी स्वीकृति जारी की गई थी। जिसके चलते धार जिले का मजदूर एवं सामग्री भुगतान का मापदंड बिगड़ गया था। कार्य के मापदंड को अनदेखा करते हुए जमकर 80% सामग्री वाले और 20% मजदूरी वाले कार्य की प्रशासनिक स्वीकृति जारी कर दी गई थी। जिसके चलते जिले में काफी समस्याओं का सामना मनरेगा योजना के अंतर्गत सामग्री प्रदत्त कर्ताओं को करना पड़ा था। उक्त समस्या आज भी जस की तस बनी हुई है।
विगत तीन वर्षों में स्वीकृत कार्यों का नहीं हुआ भुगतान। 2023 में स्वीकृत कार्य का हो गया धड़ल्ले से भुगतान।
मनरेगा योजना अंतर्गत ग्रामीण यांत्रिकी विभाग के तहत कई कार्य जिले में चलाए जा रहे हैं। जिसके अंतर्गत गौशाला निर्माण, निस्तार तालाब निर्माण, सुदूर सड़क निर्माण, आरएमएस कम पुलिया, पुलिया कम आरएमएस जैसे विभिन्न कार्य करवाए जाते हैं। विगत 2023 मार्च में कई कार्यो का भुगतान विभाग द्वारा किया गया उक्त भुगतान में कई विसंगति नजर आई जिसमें वर्ष 2020-21 में स्वीकृत कार्यों के भुगतान प्राथमिकता से किए जाने थे लेकिन लाभ सुख के गणित के चलते वर्ष 2023 अक्टूबर माह में स्वीकृत कार्य का भुगतान लगभग 20 लख रुपए का प्राथमिकता से किया गया। जबकि उक्त कार्य लगभग 80 % सामग्री एवं मजदूरी का भुगतान 20% राशि से स्वीकृत कार्य था। ऐसे कार्य पर भुगतान किया जाना कहीं ना कहीं नियमों को ताक पर रखने का प्रमाण देता नजर आ रहा है।
विलोपन और मंडन का जमकर चल रहा खेल आखिर किसकी भाग रही है रेल।
मनरेगा के निर्माणरत कार्यों में सामग्री भुगतान हेतु विभाग द्वारा लगाए गए बिल का बार-बार विलोपित करना और फिर से मंडन करना इन दिनो जन चर्चा का विषय बना हुआ है। गौरतलब है की सामग्री भुगतान हेतु राज्य शासन द्वारा जारी दिशा निर्देशों के पालन में कई प्रकार की और अनियमितता भुगतान अधिकारी द्वारा या जिम्मेदार अधिकारी द्वारा अपनाई गई है। यहां पर यह बात सत्य होती है कि अपना बाँटे रेवड़ी और घर-घर के खाएं।
संपादक- श्री कमल गिरी गोस्वामी
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