जिले सहित अन्य जिलों में खूब फल-पल रहा नर्सिंग कॉलेज का व्यवसाय।
नर्सिंग कॉलेज संचालकों की मनमानी के आगे नतमस्तक छात्र-छात्राएं।
धार। वैसे तो धार जिला आदिवासी बाहुल्य होने के कारण यहां पर शिक्षा का स्तर काफी गिरा हुआ माना जाता है। इसके विपरीत देखा जाए तो धार जिले में सबसे अधिक नर्सिंग कॉलेज संचालित है।
नर्सिंग कॉलेज संचालक करते हैं मनमानी —
कॉलेज संचालक बच्चों से एडमिशन के दौरान उनके मूल दस्तावेज उनके पास जमा कर लेते हैं। ताकि बच्चे बीच में कोर्स छोड़कर नहीं जा सके या अन्यत्र कहीं और प्रवेश नहीं ले सके। इसके पीछे सबसे बड़ा मूल कारण बच्चों को शासन द्वारा प्राप्त होने वाले छात्रवृत्ति।
आपको बता दे की आदिवासी बालक बालिकाओं को नर्सिंग कॉलेज में एडमिशन लेने के दौरान प्रतिवर्ष 50 से 80 हजार रुपए के करीब वार्षिक छात्रवृत्ति शासन द्वारा प्रदाय की जाती है। जिसको यह कॉलेज संचालक फीस के रूप में पूरी हड़प कर जाते हैं। उसके बावजूद इनकी मनमानी का आलम लगातार जारी रहता है। यह लोग प्रैक्टिकल फीस एग्जामिनेशन फीस सहित कई मनगढ़ंत फिश को बच्चों से वसूल करते हैं। जिससे उनके कॉलेज का अन्य खर्चा चलता रहे।
बच्चों को प्राप्त होने वाली छात्रवृत्ति को यह बच्चों से वसूल करने के लिए उनके नए अकाउंट बैंक में खुलवाते हैं। इतना ही नहीं उन बच्चों से उनके चेक बुक व एटीएम यह लोग अपने पास ही रखते हैं। ताकि जैसे ही शासन द्वारा बच्चों के खातों में छात्रवृत्ति का पैसा डाला जाए वैसे ही यह लोग उसे निकाल लेते हैं।
फ़ीस वसूली को लेकर बड़ी खबर जल्द ही !
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