देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने से असुरक्षा में आ गए हैं शिंदे पिता पुत्र !
मुंबई नगर निगम पर कब्जे के लिए एकनाथ शिंदे ने दिखाया रेजिस्टेंस !
खुद को जुझारू नेता बताने के लिए जल्दी सारे पत्ते नहीं खोले, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से आश्वासन के बाद ही माने।
भविष्य में भी देवेंद्र फडणवीस को बाय पास कर सीधे अमित शाह से डायरेक्ट चैनल रखना चाहते हैं एकनाथ शिंदे।
आखिरकार नगरीय विकास मंत्रालय के साथ उपमुख्यमंत्री बनने को राजी हुए।
देश/विदेश – महाराष्ट्र। विद्यापति उपाध्याय इंदौर – संकलन जगदीश राठौर रतलाम।तमाम नखरे दिखाने के बाद अंततः एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। शपथ विधि समारोह के 2 घंटे पूर्व तक ऐसा लग रहा था कि एकनाथ शिंदे उपमुख्यमंत्री पद के लिए राजी नहीं है, लेकिन आखिरकार दिल्ली के दबाव के बाद उन्हें राजी होना पड़ा। महाराष्ट्र का हाई वोल्टेज ड्रामा क्लाइमेक्स पर पहुंच गया। गुरुवार की शाम मुंबई के आजाद मैदान में देवेंद्र फेन किसने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनके साथ एकनाथ शिंदे और अजीत पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अनेक केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री, फिल्म स्टार, उद्योगपति और 40000 से अधिक लोग शामिल हुए। सूत्रों के अनुसार एकनाथ शिंदे को शहरी विकास मंत्रालय दिया जाएगा जिसके अंतर्गत मुंबई महानगर पालिका, ठाणे और कल्याण महानगरपालिका आती हैं। यही तीनों महानगर एकनाथ शिंदे के गढ़ हैं। सूत्रों का कहना है कि मुंबई पर कब्जे के लिए ही एकनाथ शिंदे जिद पर अड़े थे। इसके अलावा देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने से भी एकनाथ शिंदे और उनके पुत्र श्रीकांत शिंदे असुरक्षा में आ गए हैं।
एकनाथ शिंदे चाहते हैं कि वो किसी भी मामले में केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से ही चर्चा करें। यानी वो देवेंद्र फडणवीस को बायपास कर सीधे दिल्ली से डायरेक्ट चैनल रखना चाहते हैं। इसके अलावा उनकी मंशा है कि उनकी पार्टी को चुनाव होने की स्थिति में मुंबई महापौर का पद दिया जाए। एकनाथ शिंदे का सारा राजनीतिक अस्तित्व मुंबई और ठाणे के वर्चस्व से जुड़ा हुआ है। यही वजह है कि उन्होंने गृह मंत्रालय की जिद की, जिससे उनकी बारगेनिंग पावर बढ़े।
एकनाथ शिंदे जानते थे कि देवेंद्र फडणवीस किसी भी स्थिति में गृह मंत्रालय नहीं छोड़ेंगे लेकिन उन्होंने मुंबई महानगर पालिका पर कब्जे और अर्बन डेवलपमेंट मिनिस्ट्री के लिए मोलभाव किया। सूत्रों का कहना है कि भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए भाजपा ने भी उन्हें फेस सेविंग के लिए जिद करने का समय दिया।
गृह मंत्रालय देवेंद्र फडणवीस के पास ही रहेगा —
जैसे ही भाजपा को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 132 सीटें मिली उसी दिन तय हो गया था कि मुख्यमंत्री बीजेपी का होगा और इस पद पर देवेंद्र फडणवीस ही आएंगे क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें पहले ही बता दिया था। सूत्रों का कहना है कि ढ़ाई वर्ष पूर्व जब देवेंद्र फडणवीस को डिप्टी सीएम बनने के लिए प्रधानमंत्री ने फोन किया था, तभी उनसे कहा गया था कि भविष्य में उनका ध्यान रखा जाएगा। इधर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देवेंद्र फडणवीस के अलावा किसी अन्य के नाम पर राजी नहीं था। इसलिए देवेंद्र फडणवीस का मुख्यमंत्री बनना 23 नवंबर से ही तय था। भाजपा पहले दिन से ही स्पष्ट थी कि गृह मंत्रालय देवेंद्र फडणवीस ही संभालेंगे। अजीत पवार की देवेंद्र फडणवीस के साथ बहुत ही अच्छी केमिस्ट्री है इसको देखते हुए वित्त मंत्रालय एनसीपी के पास रहेगा यह भी पहले से ही तय है।
तीनों दलों में मंत्रालयों का बंटवारा हो चुका है। अब देखना ये होगा कि सरकार में मंत्री कौन-कौन बनता है? बुधवार को एकनाथ शिंदे का रुख बिल्कुल बदला हुआ था। देवेंद्र फडणवीस ने भी शिंदे के सम्मान का खास ख्याल रखा। शिंदे ने कहा कि जैसे पिछली बार देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद के लिए उनको सपोर्ट किया था, वैसे ही इस बार वो फडणवीस का समर्थन कर रहे हैं। वहीं देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि मुख्यमंत्री या उप मुख्यमंत्री का पद तो सिर्फ औपचारिकता है। ये टैक्निकल बातें हैं। जमीनी हकीकत ये है कि पहले भी तीनों नेता मिलकर फैसले करते थे। आगे भी सभी मिलकर काम करेंगे।
लेकिन अजित पवार और एकनाथ शिंदे ने एक दूसरे पर ऐसा कटाक्ष किया कि सभी हंसने लगे।दरअसल प्रेस कॉन्फ्रेंस में देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार तीनों बैठे थे। जब प्रेस कॉन्फ्रेंस चल रही थी तो अजित पवार ने कहा कि शिंदे का फैसला क्या होगा, इसके लिए आप लोग इंतजार करें, लेकिन मैं कल शपथ लेने वाला हूं। मैं रुकने वाला नहीं हूं। इस पर शिंदे ने चुटकी वाले अंदाज में कहा, ‘दादा को सुबह और शाम दोनों समय शपथ लेने का अनुभव है।’ इसके बाद वहां मौजूद सभी लोग हंसने लगे।
देवेंद्र फडणवीस के लिए संघ का था वीटो !
महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस ने तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। सूत्रों का यह भी कहना है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शीर्ष नेतृत्व के गंभीर हस्तक्षेप के बाद देवेंद्र फडणवीस के पक्ष में फैसला हुआ है।
अनेक भाजपा के रणनीतिकार मानते हैं कि जैसे ही ब्राह्मण देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे, मराठा आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन छेड़ देंगे। महायुति की जीत से घायल विपक्षी दल और एकनाथ शिंदे इस आंदोलन का परोक्ष समर्थन कर महाराष्ट्र में नई परेशानी खड़ी कर सकते हैं, लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने लगभग वीटो करके इन सभी तर्कों को खारिज कर दिया। संघ के रणनीतिकारों ने भाजपा को बता दिया कि यदि मराठा मुख्यमंत्री बनाया गया तो दलित और ओबीसी वर्ग नए सिरे से नाराज हो सकता है। महाराष्ट्र में दलित और ओबीसी वर्ग ने भाजपा को बढ़-चढ़कर मतदान किया है। ऐसे में संघ महाराष्ट्र में मराठा कार्ड खेलने के पक्ष में नहीं है।
इसके अलावा 2019 में जिस तरह से देवेंद्र फडणवीस के साथ अन्याय हुआ और उसके बाद उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाकर अपमान का घूंट पीना पड़ा उस वजह से संघ के कार्यकर्ता देवेंद्र फडणवीस के अलावा किसी को मुख्यमंत्री पद पर देखना नहीं चाहते। ओबीसी और दलित वर्ग देवेंद्र फडणवीस के साथ कंफर्टेबल महसूस करता है।
सूत्रों का कहना है कि देवेंद्र फडणवीस की प्रशासनिक दक्षता और विकास के विजन की वजह से प्रधानमंत्री भी उन्हें पसंद करते हैं। देवेंद्र फडणवीस के अलावा कोई भी अन्य भाजपा नेता एकनाथ शिंदे और अजीत पवार को साथ में लेकर काम नहीं कर सकता। देवेंद्र फडणवीस 2014 से 2019 तक लगातार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे हैं। 2019 में उनके चेहरे पर चुनाव लड़ा गया था जिसमें भाजपा और शिवसेना को दो तिहाई बहुमत मिला था। जाहिर है देवेंद्र फडणवीस ही महाराष्ट्र जैसे जटिल, दूसरे बड़े और सबसे ज्यादा आर्थिक समृद्ध राज्य का नेतृत्व करने की योग्यता रखते हैं। इसके अलावा भाजपा और संघ परिवार के कार्यकर्ता किसी भी स्थिति में मुख्यमंत्री पद शिवसेना को देने के पक्ष में नहीं थे।
संपादक- श्री कमल गिरी गोस्वामी
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