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पहले हल्दी मेहंदी और फिर बारात, बड़ी धूमधाम से हुआ तुलसी विवाह

First haldi mehndi and then baraat, Tulsi Vivah took place with great pomp

पहले हल्दी मेहंदी और फिर बारात, बड़ी धूमधाम से हुआ तुलसी विवाह

सरदारपुर/धार। (जितेंद्र जैन) धार जिले के दसाई में देवउठनी ग्यारस धूमधाम से मनाई गई। सैकड़ो लोगों के साथ घोड़ी पर सवार शालिग्राम ने नगर के अति प्राचीन तोरण दरवाजा में तोरण मारकर किया मंडप में प्रवेश। चुनरी ओढ़ तुलसी ने लिए शालिग्राम के साथ फेरे।

देवउठनी ग्यारस के शुभ मुहूर्त पर घराती और बाराती की मौजूदगी में नगर के श्री चारभुनानाथ मंदिर प्रांगण में तुलसी और शालिग्राम का तीन दिवसीय विवाह उत्सव पूरे रीति रिवाज के साथ संपन्न हुआ। ग्रामीणों ने इस विवाह में वे सभी रस्में निभाईं जो परिवार में शादी होने पर निभाते है। पहले दिन गणेश पूजन कर हल्दी की रस्म हुई। दूसरे दिन मंडप और तीसरे दिन धूमधाम से बारात निकाली गई।

First haldi mehndi and then baraat, Tulsi Vivah took place with great pomp

सनातन में तुलसी विवाह की बहुत पुरानी परंपरा है। परंपरा के अनुसार पूरा गांव मिलकर तुलसी और शालिग्राम का विवाह कराता है। पूरा कार्यक्रम परिवार में होने वाली शादी की तरह किया जाता है। इस बार भी रविवार से तुलसी विवाह उत्सव प्रारंभ हुआ। पहले दिन ग्रामीणों ने मिलकर गणेश पूजन किया। इसी दिन हल्दी की रस्म निभाई गई। जिसमें महिलाओं ने माता तुलसी को हल्दी लगाई। इस दौरान महिला संगीत का आयोजन भी हुआ, जिसमें महिलाओं द्वारा विवाह के मंगल गीत भी गाए गए। दूसरे दिन सोमवार को गन्ने से मंडप तैयार किया गया। इसमें गन्नों और पराल से पूरा मंडप सजाया गया।

मंगलवार को पूरे गांव का नजारा ही अलग था। सैकड़ों पुरुष और महिलाओं के साथ भगवान की बारात बैंड बाजे और ढोल नगाड़ों के साथ मंदिर से शुरू हुई। आतिशबाजियों के साथ पूरे गांव में बारात निकाली गई। इसमें शामिल बाराती नाचते-गाते हुए चल रहे थे। बारात पुनः चारभुजा नाथ मंदिर प्रांगण में पहुंची। जहां पर नगर वासियों ने भगवान शालिग्राम की बारात का स्वागत किया।

First haldi mehndi and then baraat, Tulsi Vivah took place with great pomp

भगवान ने नगर के अती प्राचीन तोरण दरवाजा में तोरण लगाया और विवाह स्थल पहुंचे। जहां लग्न मुहूर्त में 12:30 बजे दोपहर में विधि विधान से तुलसी के पौधे को चुनरी में लपेटकर व नारायण स्वरूप भगवान शालिग्राम की मूर्ति को रखकर आचार्य पं. पंकज शर्मा ने विवाह संपन्न कराया।

इस विवाह के लाभार्थी नानुराम भालोड पाटीदार रहे और सर्वकार्य तुलसी विवाह मंडल समिति ने किया। विवाह के बाद सभी बारातियों का स्वागत फरियाली खिचड़ी व फलाहार से किया गया।

संपादक- श्री कमल गिरी गोस्वामी

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