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Sach Ke Sath

Food was prepared a day before and offered to Mother Goddess.

Food was prepared a day before and offered to Mother Goddess.

एक दिन पूर्व भोजन बनाकर माता जी को किया गया अर्पण

पूजा आराधना कर सुख समृद्धि की कामना की गई। 

रात्रि 12 बजे के बाद से ही मंदिरों में पूजा के लिए रही भारी भीड़। 

धार। (अशोक राठौर) नालछा सहित आसपास के क्षेत्र में शीतला सप्तमी का पर्व बड़ी ही उत्साह पूर्ण धार्मिक माहौल में मनाया गया। एक दिन पूर्व ठंडा भोजन बनाकर सोमवार सुबह शीतला माता मंदिर में महिलाओं द्वारा पूजा आराधना कर परिवार में सुख समृद्धि व खुशहाली की कामना की गई। इस दौरान मंदिरों में बड़ी संख्या में पूजा करने वाली महिलाओं की भीड़ देखी गई। 

परंपरा अनुसार शीतला सप्तमी का पर्व को लेकर महिलाओं में खासा उत्साह रहता है। इसको लेकर दो दिन पूर्व ही वह अपने घरों में तैयारी में जुट जाती है। शीतला सप्तमी के दिन ठंडा भोजन खाने की मान्यता है। पर्व वाले दिन घर में चूल्हा नहीं जलता है। हिंदू व्रतो में यही केवल एक ऐसा पर्व आता है जिस दिन घर में ठंडा भोजन खाया जाता है। चैत्र माह की कृष्ण पक्ष यानी सोमवार को यह दिन आया है। इसलिए एक दिन पूर्व ही शाम को सभी घरों में भोजन प्रसादी बनाया जाता है। इस दिन अधिकांश घरों में विशेष भोज भी बनता है। 

अल सुबह से रही मंदिरों में भीड़ —

सप्तमी पर्व को लेकर सोमवार की सुबह से ही मंदिरों में महिलाओं की भीड़ देखने को मिली पूजा करने के लिए महिलाओं को अपनी बारी आने का इंतजार भी करना पड़ा। शांतिपूर्ण तरीके से मंदिरों में पूजा पाठ का दौर जारी रहा। 

Food was prepared a day before and offered to Mother Goddess.

ग्रुप में पहुंची पूजा करने महिलाएं —

इधर माता पूजन को लेकर महिलाओं में उत्सुकता देखने को मिली। चुनरिया व लाल पीले कलर की ड्रेस कोड में महिलाएं ग्रुप बनाकर शीतला माता मंदिरों में पहुंची। जहां पर पूजा अर्चना कर अपने परिवार व क्षेत्र में सुख समृद्धि खुशहाली की कामना की गई। भजन कीर्तन के साथ मंदिरों में पूजा अर्चना की गई। 

राती जगा कर किया विभिन्न आयोजन —

नालछा के प्राचीन शीतला माता मंदिर में एक दिन पूर्व रात्रि में रात्रि जागरण का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। जहां पर राधा कृष्ण फाग मंडली द्वारा होली के फाग गीतों का आयोजन किया गया। जिसमें जमकर गुलाल फूलों की वर्षा की गई। देर रात तक फाग गीतों का आयोजन किया गया। जिस पर श्रद्धालु मस्ती मस्त हो झूमते रहे। 

प्रधान संपादक- कमलगिरी गोस्वामी

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