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नए आपराधिक कानून, अब ज्यादा सुविधाजनक और सुरक्षित, जानिए मुख्य फायदे। 

अब IPC की धाराओं की जगह, भारतीय न्याय संहिता (BNS) होगी लागू।

हाल ही में औपनिवेशिक युग के भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure- CrPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के स्थान पर अधिनियमित किये गए तीन नवीन आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) तथा भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) 1 जुलाई 2024 से प्रभावी हुए।

इंदौर। भारत में नए आपराधिक कानून 01 जुलाई 2024 से प्रभावी हो गए हैं। भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) के जरिए, देश की न्यायिक प्रणाली में बड़ा बदलाव किया गया है।

अपराध की जानकारी देना आसान —

अब नागरिकों के लिए अपराधों की जानकारी देना काफी आसान हो गया है। वे ऑनलाइन अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। नए कानूनों में ‘जीरो एफआईआर’ का प्रावधान है यानी किसी भी थाने में FIR फाइल की जा सकती है। इसके अलावा क्राइम स्पॉट की वीडियोग्राफी, इलेक्ट्रॉनिक तरीकों से समन भेजे जाने समेत कई ऐसे बदलाव हैं जिनके बारे में जानना जरूरी है। आइए आपको नए आपराधिक कानूनों में आपके काम की पांच बातें बताते हैं। 

1. नए क्रिमिनल कानूनों के तहत FIR कैसे दर्ज होगी ?

नए कानूनों के तहत, आप इलेक्ट्रॉनिक तरीके से अपराध की रिपोर्ट दे सकते हैं। इसके लिए आपका खुद थाने जाना जरूरी नहीं। अधिसंख्य राज्यों की पुलिस ने अपनी वेबसाइट पर ऑनलाइन FIR फाइल करने की सुविधा दे रखी है। इसके अलावा संबंधित थाने को ई-मेल या व्हाट्सएप या अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से भी घटना की जानकारी दी जा सकती है। E-FIR शुरुआती वेरिफिकेशन के लिए जांच अधिकारी (IO) को भेजी जाएगी।  IO को यह तय करना होगा कि प्रथमद्रष्टया मामला बनता है या नहीं। तीन दिन के भीतर ईमेल पर जानकारी देनी होगी और FIR दर्ज करनी होगी।

2. जीरो एफआईआर क्या है ? कहां दर्ज होगी ?

नए क्रिमिनल लॉ के तहत, जीरो एफआईआर की शुरुआत हुई है। आप किसी भी थाने में देशभर में कहीं भी हुए अपराध की FIR दर्ज करा सकते हैं। इससे फर्क नहीं पड़ता कि घटना संबंधित थाने की सीमा में हुई है या नहीं। इससे FIR दर्ज कराने में आने वाली तमाम रुकावटों से छुटकारा मिलेगा।

जीरो FIR दर्ज कराने के लिए किसी भी पुलिस थाने में जाएं। मौके पर मौजूद अधिकारी जीरो एफआईआर रजिस्टर में शिकायत दर्ज करेगा। FIR नंबर के आगे ‘जीरो’ लगा होगा। पुलिस अधिकारी उस FIR को संबंधित थाने में भिजवाएंगे, वहां पर यह रेगुलर FIR की तरह दर्ज की जाएगी। 

3. FIR की कॉपी कैसे मिलेगी ?

नए कानूनों के जरिए, पीड़ितों को एफआईआर की मुफ्त कॉपी उपलब्ध कराई जाएगी। जंहा उसने शिकायत की है वहीँ से। 

4. जांच सही हो, यह कैसे सुनिश्चित होगा ?

नए कानून आरोपियों को भी कुछ अधिकार प्रदान करते हैं। जिस व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है, उसे अपनी पसंद के किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तारी की सूचना देने का अधिकार होगा। गिरफ्तारी की जानकारी थानों और जिला पुलिस मुख्‍यालयों में प्राथमिकता से प्रदर्शित की जाएगी जिससे आरोपी के रिश्तेदारों और दोस्तों को आसानी से जानकारी मिल पाए।

गंभीर अपराधों में फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स का मौके पर जाना अनिवार्य बना दिया गया है। सबूतों से किसी तरह की छेड़छाड़ न हो पाए, इसके लिए सबूत जुटाने के दौरान क्राइम सीन की वीडियोग्राफी की जाएगी।

कानूनी प्रक्रिया को तेज करने के लिए, अब समन इलेक्ट्रॉनिक तरीके से भी भेजे जा सकेंगे। अदालतों को सुनवाई में बेवजह देरी से रोकने के लिए अधिकतम दो बार स्थगन की अनुमति होगी। गवाहों की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार अनिवार्य रूप से योजनाएं चलाएंगी। 

5. महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर कैसा रुख ?

नए क्रिमिनल कानूनों में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों की जांच को प्राथमिकता दी जाएगी। सूचना दर्ज होने के दो महीने के भीतर जांच पूरी करनी होगी। पीड़ितों को 90 दिन के भीतर केस से जुड़ी रेगुलर अपडेट्स पाने का हक होगा।

नए कानून में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के पीड़ितों को सभी अस्पतालों में मुफ्त फर्स्ट-एड या मेडिकल इलाज की गारंटी दी गई है।

महिलाओं, 15 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों, 60 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों तथा विकलांग या गंभीर बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों को पुलिस स्टेशन आने से छूट दी गई है। वे अपने घर पर ही पुलिस से मदद ले सकते हैं।

अब IPC की धाराओं की जगह, भारतीय न्याय संहिता (BNS) होगी लागू —

धारा 302 (हत्या) की जगह होगी_103

धारा 307 (हत्या का प्रयास)_109

धारा 323 (मारपीट)-115

धारा 354 (छेड़छाड़) की जगह_74

धारा 354ए (शारीरिक संपर्क और आगे बढ़ना)_76

धारा 354बी (शारीरिक स्पर्श और अश्लीलता_75

धारा 354सी (ताक-झांक करना)_77

धारा 354डी (पीछा करना)_78

धारा 363 (नाबालिग का अण्डरण करस)_139

धारा 376 (रेप करना)_64

धारा 392 (लूट करना)_309

धारा 420 (धोखाधड़ी)_318

धारा 506 (जान से मारने की धमकी देना_351

धारा 304ए (उपेक्षा द्वारा मृत्यु कारित करना_106

धारा 304बी (दहेज हत्या)_80

धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना_108

धारा 509 (आत्महत्या का प्रयास करना_79

धारा 286 (विस्फोटक पदार्थ के बारे में उपेक्षापूर्ण आचरण)_287

धारा294 (गाली देना या गलत इशारे करना)_296

धारा 509 लज्जा भंग करना)_79

धारा 324 जानबूझकर चोट पहुंचाना)_118(1)

धारा 325 (गम्भीर चोट पहुंचाना)_118(2),

धारा 353 (लोकसेवक को डरा कर रोकना_121

धारा 336 दूसरे के जीवन को खतरा पहुंचाना_125

धारा 337 (मानव जीवन को खतरे वाली चोट पहुंचाना)_125(ए)

धारा 338 (मानव जीवन को खतरे वाली चोट_125(बी)

धारा 341 (किसी को जबरन रोकना_126

धारा 284 विषैला पदार्थ के संबंध में अपेक्षा पूर्ण आचरण_286

धारा 290 (अन्यथा अनुबंधित मामलों में लोक बाधा दंड)_292

धारा 447 अपराधिक अतिवार_329(3)

धारा 448 (गृह अतिचार के लिए दंड)_329(4)

धारा 382 (चोरी के लिए मृत्यु क्षति_304

धारा 493 दूसरा विवाह करना)_82

धारा 495ए (पति या उसके रिश्तेदार द्वारा क्रूरता)_85

संपादक- श्री कमल गिरी गोस्वामी

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