क्या होता है भद्रा काल ? क्यों नहीं बांधी जाती है राखी भद्रा काल में ?
ज्योतिष। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, रक्षाबंधन पर भद्रा का वास पाताल लोक में रहने वाला है। ऐसे में इसे अधिक अशुभ नहीं माना जाएगा। क्योंकि भद्रा के पाताल या फिर स्वर्ग लोक में होने पर इसका अधिक प्रभाव नहीं पड़ता लेकिन फिर भी इस काल में शुभ कार्य करने से बचा जाता है। ऐसे में भद्रा काल के बाद ही राखी बांधें तो शुभ होगा।
भद्रा काल बेहद अनिष्टकारी होता है। इस काल में शुभ व मांगलिक कार्य वर्जित हैं। ऐसी मान्यता है कि पृथ्वी लोक की भद्रा सभी कार्यों का विनाश करने वाली होती है। ऐसे में अगर आप भद्रा काल की अवधि में भाई को राखी बांधने से बचना चाहिए।
इस वर्ष भद्रा काल सुबह से दोपहर 1.30 बजे तक था। इसके बाद अब रात्रि 9 बजे तक भाई की कलाई पर राखी बांधने का शुभ मुहूर्त है।
रक्षा बंधन का इतिहास क्या है ? —
इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती हैं और भाई बहनों को जीवन भर उनकी रक्षा का वचन देते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, राजसूय यज्ञ के समय द्रोपदी ने भी श्रीकृष्ण को रक्षासूत्र के रूप में अपने आंचल का टुकड़ा बांधा था। जिसके बाद से बहनों द्वारा भाई को राखी बांधने की परंपरा शुरू हुई।
कथाओं में एवं मान्यताओं के अनुसार रावण को भी उनकी बहन ने भद्रा काल में राखी बांधी थी जिसके कारण 1 वर्ष के अंदर ही उनके संपूर्ण कुल का नाश हो गया था। इसके बाद से भद्रा काल में बहने अपने भाई को राखी नहीं बांधती है।
मान्यताओं के अनुसार भद्रा भगवान शनिदेव की बहन मानी जाती है।
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