आर्मी जवान की हत्या करने वाले सभी 6 आरोपीगण को हुआ आजीवन कारावास।
इंदौर। जिला लोक अभियोजन अधिकारी, संजीव श्रीवास्तव द्वारा बताया गया कि आज दिनांक को माननीय न्यायालय विशेष न्यायाधीश अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 श्री देवेन्द्र प्रसाद मिश्रा, इंदौर ने थाना बाणगंगा के अपराध क्रमांक 88/2017 में निर्णय पारित करते हुए अभियुक्तगण 1. दिलीप, 2. हेमंत उर्फ कालु पिता रामचंद्र वर्मा, 3. रोहित, 4. मोहित, 5. अर्जुन व 6. विकास निवासीगण- रामदत्त का भट्टा, बाणगंगा, इंदौर को धारा 302/149 भा.दं.वि. में आजीवन कारावास व धारा 307/149 भा.दं.वि. में 10-10 वर्ष का सश्रम कारावास तथा कुल 54000/- रुपये के अर्थदंड से दंडित किया गया।
अभियोजन की ओर से पैरवी जिला लोक अभियोजन अधिकारी, जिला इंदौर के निर्देशन में अतिरिक्त जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्रीमती आरती भदौरिया द्वारा एवं श्री विशाल श्रीवास्तव, विशेष लोक अभियोजक द्वारा की गयी।
चिह्नित एवं सनसनीखेज प्रकरण में हुआ आजीवन कारावास —
उक्त प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए प्रकरण को जघन्य एवं चिह्नित प्रकरण की सूची में रखा गया, जिसकी प्रतिमाह समीक्षा करते हुए अभियोजन द्वारा प्रकरण के प्रत्येक पहलू को बारिकी से न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करते हुए प्रकरण में अभियोजन की ओर से पीड़ित एवं सभी साक्षियों की साक्ष्य करवायी गई, अभियोजन के तर्कों से सहमत होते हुए माननीय न्यायालय द्वारा आरोपीगण को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
नोट :- पीड़ित परिवार को प्रतिकर दिलाए जाने हेतु माननीय न्यायालय द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को अनुशंसा की गई।
अभियोजन मामला इस प्रकार है कि थाना बाणगंगा पर दर्ज रोजनामचा की परतासी हेतु अरबिन्दो अस्पताल पहुँचे जहां पर मजरूर योगेशपाल, प्रेमलता बाई, बाबुलाल पाल, शुभम पाल की एम.एल.सी. रिपोर्ट प्राप्त की व मजरूर योगेश पाल ने अपनी देहाती नालसी में बताया कि वह मिलिट्री में नौकरी करता है और अभी छुट्टियों में घर आया था। करीब 2 वर्ष पूर्व हेमंत कौशल, दिलीप कौशल, विकास उर्फ विक्की बौरासी से मेरे छोटे भाई शुभम पाल का विवाद हुआ था, तब से वह रंजिश रख रहे थे। दिनांक 22.01.2017 को मैं अपने दोस्त वरुण चौहान, जो कि आर्मी पठानकोट में टेक्नीशियन के पद पर पदस्थ था, के घर स्कीम नंबर 51 में खाना खाने गया था।
रात्रि 10:30 बजे अपनी बाइक से अपने दोस्त वरुण के साथ अपने घर आ रहा था, तभी रामदत्त का भट्टा मैदान पर आया तभी तलवारों से लैस होकर हेमंत कौशल, दिलीप कौशल, मोहित यादव, विकास उर्फ विक्की बौरासी, अर्जुन बौरासी, रोहित कौशल मिले व एकमत होकर एकदम हम दोनों पर हमला कर दिया। हेमंत कौशल ने जान से मारने की नियत से मेरे दोस्त वरुण के सिर पर तलवार मारी। रोहित ने वरुण के गाल पर तलवार मारी, दिलीप ने मेरे सिर पर, मोहित ने मेरे दोनों हाथों की हथेलियों में तलवार मारी, जिससे हमें खून निकलने लगा और हम गाड़ी से गिर गये।
झगड़ा विवाद सुनकर मेरा भाई शुभम, मेरे पिता बाबुलाल व मेरी माँ प्रेमलता बीच-बचाव के लिये आये, तभी विकास उर्फ विक्की बौरासी ने मेरे भाई शुभम के गाल पर तलवार मारी व अर्जुन बौरासी ने मेरे पिता के कंधे पर तलवार से वार किया व मेरी माँ को धक्का मारकर गिरा दिया। वहीं खड़ी मेरी कार को तोड़फोड़ कर नुकसान किया। चिल्ला चोट सुन मोहल्ले वाले इकट्ठा हो गये वह अपनी मोटर साइकिल वहीं छोड़कर भाग गये। हम सब इलाज हेतु अरबिन्दो अस्पताल आ गये। अस्पताल में मेरे दोस्त वरुण की मृत्यु हो गयी। घटना मेरे परिवारजन व आसपास के लोगों ने देखी। अगर मोहल्ले वाले इकट्ठे न होते तो यह हम सबको जान से खत्म कर देते।
उक्त देहाती नालसी पर से अपराध क्रमांक 88/2017 धारा 307, 302, 147, 148, 149 भा.दं.वि. एवं 3(2)(v) एस.सी./एस.टी. एक्ट की प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीबद्ध कर विवेचना में ली गई। विवेचना दौरान आरोपीगण को गिरफ्तार किया गया व घटना में प्रयुक्त हथियारों को ज़ब्त किया गया एवं संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग-पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।
अभियोजन द्वारा उक्त प्रकरण में कुल 29 साक्षियों के कथन अपने समर्थन में कराये गये, जिनके द्वारा न्यायालय में अभियोजन का समर्थन किया गया एवं अभियोजन द्वारा न्यायालय के समक्ष तर्क रखते हुए आरोपीगण को सख्त से सख्त सजा देने हेतु निवेदन किया गया। न्यायालय द्वारा सहमत होते हुए आरोपीगण को उक्त दंड से दंडित किया गया।
संपादक- श्री कमल गिरी गोस्वामी
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