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Arbitrariness of deputy sarpanch big exploits behind the small screen

Arbitrariness of deputy sarpanch big exploits behind the small screenArbitrariness of deputy sarpanch big exploits behind the small screen

छोटे पर्दे के पीछे बड़े कारनामे उप सरपंच की मनमानी

छोटे पर्दे के पीछे बड़े कारनामो का राज ! कोन सी है वो पंचायत जहा का उप सरपंच मनरेगा मे कर रहा हे मजदूरी।

कोन-सा है वो गांव जहा का उपसरपंच का पति अपनी चला रहा है मन मर्जी ओर अपनी ही पत्नी को भेज रहा है मजदूरी ! साथ ही दूसरी पंचायत में भी भेज कर करवा रहा है मजदूरी। ओर उसके नाम से मनरेगा के तहत मजदूरी के पैसे निकलवा रहा है।

झाबुआ। हम बात कर रहे है उस जनपद पंचायत की जहा पर भ्रष्टाचार अपनी चरण सीमा पर है, उसके बाद भी कोई अधिकारी नहीं दे रहा है ध्यान। ग्राम पंचायत के उपसरपंच जो अपनी ग्राम पंचायत के साथ साथ में दूसरी पंचायत मे भी अपना जॉब कार्ड लगाकर मनरेगा योजना के अंतर्गत अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है ओर ले रहा है मजदूरी का पैसा। सच बात तो यह है की वह कभी अपने जीवन में मजदूरी नहीं गया ओर वह इस पंचायत में अपनी पत्नी को निस्तर तालाब मे भेज कर करवा रहा है मजदूरी ? मनरेगा के तहत कहने को तो ग्रामीण लोगो को रोजगार नहीं मिल रहा हे ओर लोग अपने गाँव को छोड़ कर गुजरात जा कर मजदूरी कर अपने घर का भरण पोषण कर रहे है।

ओर ये महाशय है की अपनी पत्नी जो की उपसरपंच है उसके नाम से बिना वहा मजदूरी पर गये पैसे खातों मे डलवा रहा है। समज मे यह नहीं आया की एक ही जगह पर रहकर दो दो जगह पर कैसे उपस्थित हो सकता है। इससे तो यही स्पस्ट हो रहा है की छोटे पर्दे के फिछे कोई बड़ा राज है। कोन है वो उपसरपंच पति जिसकी वजह से गरीबो के हक को निगला जा रहा है। इसी लिए गरीब ओर गरीब अमीर ओर अमीर होता चला जा रहा है। सरकार के द्वारा उन गरीबो को दिये जाने वाली मनरेगा योजना की धाड़की मे भी किस प्रकार से भ्रष्टाचार किया जा रहा है। गरीबो की मजदूरी मे भी इन घूसखोरों ओर भ्रष्टाचारिओ ने अपना हक जमा रखा है ओर पैसे निकाल कर खा रहे है। आओ आप ओर हम इसका पता लगाए की ऐसे कितने गरीब लोगो की मजदूरी पर जमा बैठा है जो बड़े बड़े पद पर रहकर मजदूरी कर रहे है। कोन है वो उपसरपंच जो की सरकार की आँखो मे धूल झोक रहा है। मनरेगा योजनाओं का लाभ गरीब को ना दिलवा कर बदले मे अपने परिचित लोगो जो की अपात्र है, उन लोगों को मजदूरी करा रहा है। जोकि कोई सरकारी विभाग मे जुड़े है, तो कोई व्यापार कर रहे हैं, तो कोई कुछ भी नहीं कर रहा है उसके खाते मे जमा करवा रहा है।

सबसे बड़ी बात की बैंक वाले भी बिना उस व्यक्ति के बैंक मे जाने पर भी पैसा निकाल कर दिया जा रहा है। कोन सी है वह बैंक जो कर रही है जनता के साथ विश्वासघात ओर किसके कहने पर ओर किसको दे रही है निकाल मनरेगा के पैसे ओर एक जगह से नहीं बलकि अन्यत्र पंचायतो मे भी अपना हक जमा रखा है। कितनी पंचायतो पर अपनी जगह बना रखी है। उस पंचायत का सचिव भी क्यो गलती कर रहा है उसकी हाजरी डाल कर। क्या उस गांव के पंचायत सचिव भी फर्जी तरीके से हाजरी लगा कर भ्रष्टाचार को बड़ा रहा है। जिसने उपसरपंच का जॉब कार्ड लगाकर मजदूरी के पैसे उसे दे रहा है। क्या उपसरपंच दूसरी पंचायत में जा कर अपना जॉब कार्ड लगाकर मजदूरी कर सकता है। जबकी वहा के ग्रामीण लोगों को पता हि नहीं है की उनके गांव मे भी रोजगार मिलेगा। लेकिन हकीकत तो यह है की मशीनों से कार्य पूर्ण कर उसे मजदूरी से कराया बता दिया जा रहा है। जनपद मे बैठे अधिकारी भी बिना जांच के पेमेंट जमा कर रहे है। जबकी गरीब लोगो के खातों मे पेमेंट करावा कर उनसे उनका ही हक छिनकर उन्हे कुछ पैसों का लोभ देकर उनका पूरा हक छिन लिया जा रहा है। इसकी पुष्ठी की जा चुकी है लेकिन अभी कुछ जानकारी ओर है।

सूत्रों से यह भी जानकारी मिली है की उपसरपंच मनरेगा के तहत मजदूरी नहीं कर सकता ओर ना हि सरकार की किसी योजना का लाभ प्राप्त कर सकता है। ना हि ग्राम पंचायत के पंच किसी योजना मे लाभ प्राप्त कर सकते है। ओर अगर किसी पंचायत में ऐसा होता है तो उसे पंचायत अधिनियम एक्ट के तहत उसके पद से निष्कासित किया जा सकता है। कैसे मजदूरी कर सकता है वो भी दूसरी पंचायत मे यह संभव नहीं है। तो ये उपसरपंच कोन है। ओर क्यो इसकी हाजरी भर कर मजदुरी बता कर पैसे निकाले जा रहे है। आखिर कार प्रशासन इस तरह के कार्य मे भी अपनी आँखे बंद कर क्यो लापरवाई कर रहा है ओर देख कर भी अनदेखा कर रहा है। क्यो कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है। या यु कहे की किसी के दबाव मे आकर प्रशासन भी उनकी गोद में बैठा हुआ है। कटफुतली की तरह नाच रहा है। जैसा कहे वैसा कर रहा है। 

प्रधान संपादक- कमलगिरी गोस्वामी

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