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आदिवासी परिवारों की पुरखों की जमीन को वन विभाग हथियाना चाहता है, आदिवासियों में भारी आक्रोश।

झाबुआ। (देवेंद्र बैरागी) बोरिया ग्राम के आदिवासियों का कृषि भूमि ही मुख्य कमाई का साधन है जिससे वो अपना व परिवार का भरण पोषण करते है। लेकिन अब इस भूमि पर राजस्व विभाग एवं वन विभाग की नजरे टेढ़ी हो गई है। जिसको लेकर किसान परेशान है!

इस जमीन पर उनका 70- 80 वर्षों से मालिकाना हक है। इस जमीन से अपने परिवार का पालन पोषण करते चले आ रहे हैं। यह आदिवासी अपनी पुरखों की जमीन को बचाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। आज उनके झोपड़ी में वीरानी छाई हुई है पूरा गांव दहशत मैं होकर चिंता में डूबा हुआ हैं।

ग्राम बोरिया के कृषक शंभू मेडा, कैलाश मेडा, नानूराम मेडा, नारायण निनामा, राकेश मेडा, करण सिंह, बादल निनामा, गणेश निनामा आदि ने बताया कि वर्षों से हम अपनी जमीन मे फसल पैदा कर अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं। लेकिन अभी 8 दिनों से राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा हमारी जमीन को नापतोल की गई तथा बताया गया कि यह जमीन सरकारी होकर योजना के माध्यम से वन विभाग को दी जाएगी। इस जमीन के चले जाने से हमारा पूरा परिवार बेदखल हो जाएंगा तथा हमारे पास रोजी-रोटी प्राप्त करने का कोई साधन नहीं रहेगा। उक्त भूमि के अलावा हमारे पास आय का कोई स्रोत नहीं है।

उक्त भूमि 93 हेक्टर क्षेत्र में फैली है जिसका सर्वे नंबर 106 है इस गांव में 150 से अधिक परिवार लोग निवास करते हैं। इनका कहना है कि हमारी रोजी-रोटी चले जाने के बाद हमें यहां से अन्य प्रदेश में मजदूरी के लिए भटकना पड़ेगा। जिससे हमारे परिवार के बच्चो का भविष्य अंधकार में हो जाएगा।

इस संबंध में हमने गत दिनों आदिम जाति कल्याण मंत्री सुश्री निर्मला भूरिया को एक आवेदन दिया गया। उन्होंने कलेक्टर को भी आवेदन दिया था। जिसका आज तक निराकरण नहीं होने की वजह से किसानों में आक्रोश बढ़ रहा है। उन्होंने कहा है कि किसी भी कीमत पर हमारी जमीन नहीं जाने देंगे। ग्राम बोरिया के आदिवासी किसानों ने वरिष्ठ भाजपा नेता पूर्व जिला मंत्री पारस जैन, एवं मांगीलाल पडियार को भी ज्ञापन दिया।

इस मामले को लेकर पारस जैन ने कहा कि मामला अति गंभीर है। इसे वन मंत्री नागर सिंह चौहान से चर्चा की जाएगी तथा आदिवासियों की जमीन वन विभाग के सुप्रद किए जाने पर रोक लगाई जाए! पारस जैन ने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से मांग की है कि जांच कर आदिवासियों की जमीन को मुक्त किया जाए।

वन विभाग ने दी अपनी दलील —

वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बोरिया ग्राम के आदिवासियों की भूमि पर कलेक्टर के आदेश हुए हैं तथा वर्तमान में भूमि पर अतिक्रमण है। बोरिया गांव के किसान कृषि कार्य करते हैं यह भूमि हमे राजस्व विभाग के माध्यम से हमें दी जा रही है- जितेंद्र सिंह राठौर डिप्टी रेंजर वन विभाग।

संपादक- श्री कमल गिरी गोस्वामी

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