देश की आजादी के बाद से 2014 तक सरकार को शौचालय बनाने की याद नहीं आई – डा के जी सुरेश।
इंदौर। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ के जी सुरेश ने कहा है कि देश की आजादी के बाद से 2014 तक भारत सरकार को लोगों के घरों में शौचालय बनाने की याद नहीं आई। स्वच्छता विशेषज्ञ डॉ जितेन्द्र जाखेटिया ने कहा कि देश की आजादी के बाद से 75 वर्ष में पहली सरकारी योजना स्वच्छ भारत मिशन है जो कि जन आंदोलन के रूप में तब्दील हो सकी है।
यह बाते उन्होंने तब कही जब वे भोपाल में माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में स्वच्छ भारत मिशन की सफलता में पत्रकारिता का योगदान विषय पर संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ के जी सुरेश ने कहा कि देश की आजादी के बाद से 2014 तक सरकार को इस बात की ध्यान नहीं आई कि हमें घरों में शौचालय बनाना है। प्रधानमंत्री के पद पर नरेंद्र मोदी के आने के बाद सरकार के द्वारा स्वच्छ भारत मिशन के तहत ऐसे सारे घरों में शौचालय बनाए गए जहां पर शौचालय नहीं थे। खुले में शौच जाना राष्ट्रीय शर्म का विषय था।
राजस्थान सहित कई प्रदेशों में कक्षा दसवीं के पश्चात बालिकाएं इसलिए स्कूल जाना छोड़ देती थी क्योंकि इन स्कूलों में शौचालय नहीं थे। इसके परिणाम स्वरूप बालिका शिक्षा का प्रतिशत कम हो रहा था। अब स्कूलों में शौचालय बन जाने के कारण बालिकाओं की शिक्षा का प्रतिशत भी बढ़ रहा है। स्वच्छ भारत मिशन कोई नारा नहीं है बल्कि देश की स्थिति को बदलने का एक प्रयास है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में स्वच्छता विशेषज्ञ डॉ जितेन्द्र जाखेटिया ने कहा कि वर्ष 1947 में देश के आजाद होने के बाद से लेकर 2024 तक सरकार के द्वारा सैकड़ो योजनाएं लाई गई। यह योजनाएं सरकारी योजना के रूप में आई, कागज पर सिमट कर रही और कब समाप्त हो गई जनता को मालूम भी नहीं पड सका। इस अवधि में वर्ष 2014 में भारत सरकार के द्वारा लाई गई स्वच्छ भारत मिशन की योजना पहली ऐसी योजना है जो की जन आंदोलन के रूप में तब्दील हो सकी है।
इस योजना से जनता को जोड़ने और इस योजना के प्रावधान के अनुसार शहरों में सफाई के हालात तैयार करने का कार्य मीडिया के द्वारा कराया गया। मीडिया की सक्रियता का ही यह परिणाम है कि यह योजना आज शहरों के लिए हालात परिवर्तन की योजना के रूप में हम सभी के सामने हैं।
डॉ जाखेटिया ने कहा कि इस योजना में भारत सरकार के द्वारा सबसे पहले आई ई सी प्रोग्राम दिया गया। इसके अंतर्गत स्थानीय निकाय से कहा गया कि वह स्वयंसेवी संगठन और मीडिया के माध्यम से जनता को जानकारी देने, शिक्षित करने और उनके साथ संवाद करने का काम करें। इसी काम के परिणाम स्वरूप इंदौर में 100% घरों से कचरा संग्रहण करना संभव हो सका है। इसके साथ ही ऑन द स्पॉट सेग्रीगेशन भी इस संवाद और शिक्षा के कारण ही संभव हो सका। आज भी देश के कई बड़े और प्रमुख शहरों में 100 % घरों से कचरा संग्रहण भी नहीं हो पा रहा है। सेग्रीगेशन तो अभी भी देश के कई शहरों के लिए दूर का सपना बना हुआ है। कार्यक्रम का संचालन डॉ उर्वशी परमार ने किया।
कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्शन विभाग अध्यक्ष डॉ आरती सारंग ने किया। कार्यक्रम में उद्बोधन के पश्चात प्रश्न उत्तर का सत्र भी रखा गया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. अविनाश बाजपेई, आइआइएमसी के पूर्व निदेशक प्रो संजय द्विवेदी, श्री प्रदीप डहेरिया, डॉ. लाल बहादुर ओझा उपस्थित थे।
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