तीन शिक्षक 18 विद्यार्थी और एक कक्ष जिसकी टपकती हुई छत में हो रहा विद्यालय का संचालन।
काश इन विद्यालयों में से किसी एक को प्रशासनिक अधिकारी गोद ले !
धार। नालछा विकासखण्ड के अंतर्गत तीन शिक्षक 18 विद्यार्थी और एक कक्ष जिसकी टपकती हुई छत में हो रहा है विद्यालय का संचालन। गीला फर्श और भीगी हुई टाट पट्टी पर बैठे हुए 6 विद्यार्थी शिक्षा विभाग की दुर्दशा को बयां कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ प्राथमिक विद्यालय भवन की छत से पानी टपकने से खुलै बरामदे में बैठकर पानी की बोछारों के बीच ले रहे हैं प्राथमिक स्तर की शिक्षा। इधर जब भी तेज बारिश होती है तो स्कूल में छुट्टी करना पड़ती है।
यह दृश्य धार जिले के नालछा विकासखंड के ऐसे दो विद्यालयों का है, जहां शिक्षा विभाग के सारे दावे को झूठा साबित कर रहे हैं। विद्यालयों की स्थिति को देख ऐसा लग रहा है मानो जिम्मेदार अधिकारीयो ने कभी इन विद्यालयों की ओर रुक ही नहीं किया हो। इन विद्यालय में जहां प्राथमिक स्तर के बच्चे जिनकी नीव मजबूत होना है। उन्हें बैठने की ही जगह नसीब नहीं हो रही है, तो वह पढ़कर अपने भविष्य को कैसे सवारेंगे।
19 बच्चों पर तीन शिक्षक और एक कक्ष वह भी टपकता हुआ।
विकासखंड का प्राथमिक विद्यालय पटेल अवार हेमाबैयडी में कक्षा 1 से 5 तक 19 विद्यार्थी दर्ज हैं। जिसमें तीन शिक्षक यहां शासन ने नियुक्त किए हैं। कक्षा में सिर्फ 6 विद्यार्थी उपस्थित थे। बिल्डिंग की छत से पानी टपकने के कारण गीला फर्श व टाट पत्ती भी गीली थी। जिस पर यह विद्यार्थी बैठे हुए थे। ऐसे में बच्चों को निमोनिया होने का खतरा भी बना हुआ है।
शिक्षक शेर सिंह वसुनिया से जब मिडिया ने चर्चा की तो उन्होंने बताया कि बारिश के दिनों में छत टपकती हैं। जिसके कारण बच्चों को बैठाने में परेशानी आती है। कक्षा पहली में 6, दूसरी एवं तीसरी में पांच, चौथी में चार एवं पांचवी में तीन बच्चे दर्ज हैं।
खुलै बरामदे में बैठकर पानी की बोछारों के बीच अध्यापन को मजबूर बच्चे —
हेमाबयड़ी के ही प्राथमिक विद्यालय कटारा अवार की भी हालत खराब है। यहां एक ही कक्ष में कक्षा 1 से 5 तक तक का संचालन होता है। शिक्षक शंकर गिरवाल ने बताया कि यहां कुल 23 विद्यार्थी दर्ज है। दो शिक्षको कि यहां नियुक्ति की गई है। बारिश आने पर कक्षा में पानी टपकता है। जिसके कारण विद्यालय के बाहर बरामदे में खुले में बैठकर बच्चों को पढ़ना पड़ता है। तेज बारिश के बीच पानी की बोछारे भी लगती है ऐसे में स्कूल की छुट्टी भी करना पड़ती है।
इन विद्यालय को गोद लेने वाला कोई नहीं —
प्रशासनिक अधिकारी विद्यालय को गोद ले रहे हैं। लेकिन दुरांचल में ऐसे विद्यालयों को यदि गोद ले लिया जाए तो इसमें वहां पढ़ने वालों बच्चों का भविष्य भी सुरक्षित रहेगा और गोद लेने पर एक विद्यालय मॉडल के रूप में साबित होगा।
मौके पर जाकर स्थिति देखेंगे —
इस संबंध में बी आर सी राजेश शिंदे से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि स्कूल में कांटीनेंसी की राशि जमा होती है जिस छत पर वॉटरप्रूफ करवाना चाहिए जिससे पानी नहीं टपके। जल्द ही विद्यालय का दौरा कर व्यवस्था में सुधार करवाएंगे।
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