हस्तशिल्प प्रदर्शनी से विद्यार्थियों का हुनर सामने आता है: डॉ. रामदास आत्राम, कुलपति।
हस्तशिल्प प्रदर्शनी कौशल को रोजगार से जोड़ने की प्रेरणा है: डॉ. मनीषा सक्सेना।
ब्राउस में हस्तशिल्प प्रदर्शनी का आयोजन।
महू/इंदौर। कौशल एवं रूचि को रोजगार से जोड़कर जीवन में समृद्धि लाई जा सकती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में विद्यार्थियों के कौशल को विकसित करने के लिए कई वोकेशनल कोर्सेस के प्रावधान किये हैं, हस्तशिल्प पाठ्यक्रम भी उनमें से एक है। खुद की रूचि को विकसित कर कैरियर की असीम संभावनाओं के द्वारा को खोला जा सकता है। बाजार में कई ट्रेंड्स का प्रचलन बढ़ा है जिससे रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ी हैं। उक्त बाते डॉ. बी.आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रामदास आत्राम ने कौशल विकास केंद्र में आयोजित ‘ हस्तशिल्प प्रदर्शनी’ के उद्घाटन के अवसर पर कही।
डॉ. रामदास आत्राम ने कहा कि डॉ. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय के शिक्षा एवं कौशल विकास अध्ययनशाला में हस्तशिल्प प्रदर्शनी का आयोजन विद्यार्थियों के कौशल, नवाचार एवं मेहनत का प्रदर्शन है। प्रदर्शनी विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों तथा आस-पास के सभी क्षेत्रों में लोगों के बीच हस्तशिल्प के बारे में जागरुकता, सहयोग और इसके महत्व को बढ़ाने के लिए समय-समय पर आयोजित होनी चाहिए। यह प्रदर्शनी समारोह विद्यार्थियों के लिये विशेष समय है, क्योंकि उन्हें इससे हस्तशिल्प के कार्यों को उजागर करने का बहुत बड़ा अवसर मिलता है। प्रदर्शनी के समस्त उत्पाद मनमोहक एवं समसायिक हैं।

हस्तशिल्प की प्रदर्शनी के बारे में जानकारी देते हुए शिक्षा एवं कौशल विकास अध्ययनशाला की संकायाध्यक्ष डॉ. मनीषा सक्सेना ने बताया कि हस्तशिल्प प्रदर्शनी विद्यार्थियों की मेहनत और उत्साह का प्रतिफल है। हस्तशिल्पियों में विद्यार्थी हैं जो पढ़ाई के साथ-साथ कौशल विकास की ओर अग्रसर होते हैं, उन सभी विद्यार्थियों को उत्साहित करने के लिए आयोजन किया गया है। परिसर के कौशल विकास केंद्र में पहली बार हस्तशिल्प प्रदर्शिनी का आयोजन किया गया। इसमें लगभग हस्तशिल्प के 20 से अधिक स्टालों पर 300 से अधिक उत्पाद प्रदर्शित किये हैं। इनमें रंगाई, छपाई, चित्रकला जैसे बंधेज, बाग़ प्रिंट, दाबू प्रिंट, कलमकारी पेंटिंग, मधुबनी पेंटिंग, मिटटी शिल्प, गुडिया शिल्प,, पर्स, महिलाओं और पुरुषों के वस्त्र आदि विद्यार्थियों ने बनाये हैं। यह हस्तशिल्प विद्यार्थियों की रचनात्मकता को नया रूप प्रदान की कोशिश है। भारत का प्रत्येक क्षेत्र अपने विशिष्ट हस्तशिल्प पर गर्व करता है। प्रदर्शनी में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश महाराष्ट्र, बिहार सहित विभिन्न प्रदेशों के परिधान, रंगाई, सिलाई, कढ़ाई सहित वस्त्रों, आभूषणों आदि को प्रदर्शित किया गया है।
संकायाध्यक्ष प्रो. सुनील गोयल ने कहा कि आयोजित प्रदर्शनी पूरे परिसर के विद्यार्थियों को समर्पित हस्तशिल्प कारीगरों के लिये बड़ी उम्मीद और अवसर प्रदान करता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कौशल को रोजगार से जोड़ने के लिए कई वोकेशनल पाठ्यक्रम विकसित किये हैं। हस्तशिल्प में दैनिक जीवन की सामान्य वस्तुएँ भी कोमल कलात्मक रूप में गढ़ी जाती हैं।
प्रदर्शनी का आयोजन हस्तशिल्प विभाग द्वारा किया गया। प्रदर्शनी को सफल बनाने में शिक्षा एवं कौशल विकास अध्ययनशाला के संकाय सदस्य डॉ. मनोज कुमार गुप्ता, डॉ. रामशंकर, दुर्गेश मिश्रा, इंस्ट्रक्टर नेहा जोशी, प्रीति पंवार, सहायक सुषमा पाटिल तथा विद्यार्थियों ने अथक प्रयास किया। इस अवसर पर विभिन्न अध्ययनशालाओं के संकाय सदस्य, कर्मचारी और विद्यार्थी भारी संख्या में उपस्थित रहे।
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