प्रयागराज/यूपी। संगम नगरी प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में मंगलवार की रात एक दर्दनाक हादसा हो गया। भीड़ का दबाव अचानक इतना बढ़ गया कि भगदड़ मच गई, जिसमें अब तक 17 श्रद्धालुओं की मौत की पुष्टि हुई है। हालांकि, प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार मरने वालों की संख्या इससे अधिक हो सकती है। बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं, जिन्हें अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर शुरू कर दिया है।
रात 2 बजे मची अफरातफरी —
यह हादसा रात करीब 2 बजे संगम तट के पास हुआ, जब लाखों श्रद्धालु पुण्य स्नान के लिए उमड़े थे। अचानक भीड़ का दबाव बढ़ने से श्रद्धालुओं में भगदड़ मच गई, जिससे कई लोग कुचल गए और कई नदी में गिर गए। अराजकता के बीच मौके पर मौजूद सुरक्षाकर्मी स्थिति संभालने में जुट गए, लेकिन तब तक कई लोगों की जान जा चुकी थी।
प्रशासन अलर्ट मोड पर —
घटना की जानकारी मिलते ही मेला क्षेत्र में तैनात प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी तुरंत हरकत में आ गए। एडीजी जोन भानु भास्कर, महाकुंभ मेलाधिकारी विजय किरण आनंद, आईजी रेंज प्रेम गौतम, कमिश्नर विजय विश्वास पंत और पुलिस कमिश्नर तरुण गाबा ने तुरंत हालात का जायजा लिया और पूरे आपातकालीन तंत्र को सक्रिय कर दिया।
क्राउड कंट्रोल के लिए सख्त कदम —
भगदड़ के बाद महाकुंभ में क्राउड डायवर्जन प्लान लागू कर दिया गया है। अब श्रद्धालुओं के जत्थों को शहर के बाहर ही रोकने की व्यवस्था की जा रही है। 10 से ज्यादा जिलाधिकारियों को भीड़ प्रबंधन की जिम्मेदारी सौंपी गई है। प्रयागराज के बॉर्डर इलाकों में अधिकारियों की तैनाती बढ़ा दी गई है ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके।
हादसे की जांच के आदेश —
प्रदेश सरकार ने घटना की गंभीरता को देखते हुए उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं। प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, भगदड़ अत्यधिक भीड़ और अव्यवस्थित यातायात के कारण हुई। प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे संयम बनाए रखें और अधिकारियों के निर्देशों का पालन करें।
श्रद्धालुओं में शोक, परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल —
हादसे के बाद महाकुंभ में मातम का माहौल छाया है। हादसे में जान गंवाने वालों के परिजन अस्पतालों और शवगृहों के बाहर अपने प्रियजनों को खोज रहे हैं। सरकार ने मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने की घोषणा की है।
सवालों के घेरे में प्रशासन —
हालांकि, प्रशासन राहत कार्यों में जुटा है, लेकिन यह हादसा व्यवस्थाओं पर सवाल खड़ा कर रहा है। लाखों की भीड़ को संभालने की तैयारी कितनी मजबूत थी, यह अब जांच का विषय बन चुका है। क्या सुरक्षा इंतजामों में चूक हुई? क्या इस हादसे को टाला जा सकता था? यह सब जांच के बाद ही स्पष्ट होगा।
फिलहाल, महाकुंभ में उमड़ी आस्था पर इस हादसे ने गहरा धक्का पहुंचाया है, और श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर नए सिरे से सवाल उठ खड़े हुए हैं।
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