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विद्यालय के प्राचार्य सैफुद्दीन शेख गुरु पूर्णिमा के दिन थे नदारत स्कूल में डले रहे ताले, पहले भी करते रहे हैं शासकीय आदेशों की अवहेलना।

सरदारपुर/धार। गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष में प्रदेश शासन एवं मध्य प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री मोहन यादव द्वारा आदेशित किया गया था कि समस्त स्कूलों में गुरु पूर्णिमा का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ धूमधाम से मनाया जाए। गुरुओं के सम्मान के साथ गुरु पूर्णिमा के पर्व पर गुरु के महत्व को छात्रों को समझाया जाए। बावजूद ईसके मध्य प्रदेश के धार जिले में सरदारपुर तहसील के अंतर्गत आने वाले अमझेरा क्षेत्र के स्कूल में गुरु पूर्णिमा का पर्व नहीं मनाया गया था।

गुरु पूर्णिमा का पर्व रविवार के दिन आने से कई शिक्षकों के मन में आघात हुआ वहीं समुदाय विशेष मुस्लिम समाज से आने वाले शिक्षकों द्वारा गुरु पूर्णिमा पर्व नहीं मनाया जाना जन चर्चा का विषय बना रहा।

नहीं मानते हम सरकारी फरमान, अपनी मनमानी पर उतारू प्राचार्य

मध्य प्रदेश के दो जिलों में दो जगह पर गुरु पूर्णिमा का पर्व नहीं मनाया गया। जिसमें सर्वप्रथम धार जिले के सरदारपुर तहसील से अमझेरा की खबर सामने आई वहीं दूसरी खबर जिला गुना के विकासखंड राधौगढ़ के नगर रुठियाई वार्ड क्रमांक 21 नारोनी के प्राथमिक शासकीय विद्यालय में प्रधान अध्यापक मौहम्मद कुरैशी के द्वारा भी गुरुपूर्णिमा पर्व नहीं मनाने की खबर जन चर्चा का विषय बनी हुई है।  

जगह पर गुरु पूर्णिमा पर्व नहीं मनाया गया। इन दोनों जगह की एक समान बात यह रही की दोनों स्कूलों के प्राचार्य मुस्लिम समाज के होने से सरस्वती पूजन एवं गुरु पूजन नहीं किया गया। इन लोगों की शिकायत जनप्रतिनिधियों एवं गणमान्य नागरिको के द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों से की गई।

शिकवा शिकायत के बाद एवं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के दबाव के बाद मंगलवार दोपहर में अमझेरा के शासकीय माध्यमिक विद्यालय में प्राचार्य सैफुद्दीन शेख के द्वारा सरस्वती पूजन का गुरु पूर्णिमा पर्व की औपचारिकता निभाई गई। हालांकि रविवार के दिन गुरु पूर्णिमा का पर्व नहीं मनाने पर प्राचार्य को उप संचालक आदिवासी विकास विभाग धार द्वारा SCN कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया है। 

नहीं मानते हम सरकारी फरमान, अपनी मनमानी पर उतारू प्राचार्य

मध्य भारत लाइव न्यूज़ के द्वारा विशेष रूप से इस खबर को प्रकाशित करने के बाद वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा संबंधित प्राचार्य को SCN जारी किया गया है। अब देखना यह होगा कि खबरों के प्रकाशन के बाद वरिष्ठ अधिकारी इस प्रकार के तथाकथित प्राचार्य पर क्या कार्यवाही करते हैं या फिर नेता नगरी के दबाव में कार्यवाही धरी की धरी रह जाती है।

संपादक- श्री कमल गिरी गोस्वामी

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