कांग्रेस को ऐन मौके पर धोखा देकर बीजेपी ज्वाइन करने वाले अक्षय कांति बम की मुश्किलें बढ़ी। गिरफ्तारी की तलवार लटक रही बम की अग्रिम जमानत खारिज हुई तो वहीं 307 के मामले में कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया। 17 साल पुराने मामले में बम के खिलाफ धारा 307 के तहत केस दर्ज किया गया है।
इंदौर। इंदौर से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे अक्षय कांति बम के खिलाफ शुक्रवार को इंदौर जिला अदालत में नई याचिका लगाई गई। इसमें अक्षय कांति बम की जमानत रद्द करने की गुहार लगाई। गौरतलब है कि जमीन विवाद के एक मामले में बम के खिलाफ कोर्ट के आदेश के बाद धारा 307 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। शुक्रवार को बम के खिलाफ सुनवाई होनी थी। लेकिन वह अदालत में हाजिर नहीं हुए। इस पर कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया।
कोर्ट ने धारा 307 बढ़ाने का दिया था आदेश —
गौरतलब है कि 17 साल पुराने जमीन विवाद के मामले में अक्षय कांति बम सहित कुछ और लोगों पर धारा 293, 323, 506, 147, 148 के तहत केस दर्ज किया गया था। फरियादी के वकील मुकेश देवल के अनुसार “केस 17 साल से चल रहा है। इसी साल बीते 24 अप्रैल को केस की सुनवाई हुई थी। अदालत ने बम के खिलाफ हत्या के प्रयास की धारा बढ़ाने का आदेश दिया था।” इस केस में इंदौर जिला अदालत में बम को शुक्रवार को पेश होना था। बताया जाता है कि बम ने कोर्ट से समय मांगा था। वह पारिवारिक कार्यक्रम का हवाला देकर कोर्ट नहीं पहुंचे।
17 साल पहले का मामला, मारपीट व फसल में आग —
मामले के अनुसार 4 अक्टूबर 2007 को बम सहित कुछ और लोगों ने फरियादी यूनुस पटेल के खेत में काम करने वालों के साथ मारपीट की थी। इसके साथ ही वहां रखी फसल में आग लगा दी थी। मारपीट से पीड़ित लोग जब मेडिकल कराने जा रहे थे तो कांतिलाल बम, उनके बेटे अक्षय, सतवीर, सुरक्षा गार्ड मनोज, सोनू एवं अन्य 7-8 लोग बंदूक लेकर आए। इस दौरान गोलीबारी भी हुई थी। तभी से ये मामला चल रहा था। लेकिन हाल ही में कोर्ट ने इस मामले में धारा 307 बढ़ाने का आदेश पुलिस को दिया था।
ऐन मौके पर नामांकन वापस लिया था बम ने —
आपको बता दें कि कांग्रेस ने अक्षय कांति बम को इंदौर से प्रत्याशी घोषित किया था। लेकिन इसी दौरान कोर्ट के आदेश से धारा 307 बढ़ाने से बम की मुश्किलें बढ़ गई थी। इसके बाद बीजेपी नेताओं ने बम को अपने पाले में किया। बम ने कांग्रेस की तरफ से भरे गए नामांकन को वापस लेकर सियासत में सनसनी फैला दी थी। नामांकन भरने की अंतिम तिथि गुजरने के बाद कांग्रेस के पास कोई विकल्प नहीं बचा था। इस प्रकार इंदौर में बीजेपी के लिए मैदान पूरी तरह खाली हो गया।
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