रिश्वत मांगने वाले आरोपी पंचायत सचिव इंदरसिंह भवेल को 04 वर्ष की सजा।
धार। माननीय न्यायालय प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश, जिला धार द्वारा दिनांक 31/10/2023 को निर्णय पारित करते हुए धारा 7, 13(1) (डी) सहपठित धारा 13 (2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में आरोपी को धारा 7 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में आरोपी को 3 वर्ष सश्रम करावास 500/- रूपये अर्थदण्ड एवं धारा 13 (1) (डी) में 4 वर्ष सश्रम कारावास व 1500/- रूपये अर्थदण्ड से दण्डित कर उसे जेल भेजा गया।
टी.सी. बिल्लौरे उप संचालक अभियोजन जिला धार ने बताया कि ग्राम पंचायत ग्राम कलाल्दा जनपद पंचायत उमरबन, तहसील मनावर के सरपंच देवकुंवर बाई द्वारा पंचायत में वर्ष 2015-16 में शासन की पंचपरमेश्वर योजना के अंतर्गत सीमेंट कांक्रीट अंतरिक पथ निर्माण हेतू 4.16 लाख रूपये स्वीकृत करवाये थे। उक्त निर्माण कार्य पूर्ण हो चूका था। दिनांक 02.07.2016 को पंचायत सचिव इंदरसिंह भवेल द्वारा जनपद पंचायत उमरबन में सरपंच को बुलाकर कहा कि सीमेंट कांक्रीट अंतरिक पथ निर्माण का कार्य उसने स्वीकृत करवाया था। इसके बदले में सचिव इंदरसिंह भवेल ने सरपंच के पति शिवलाल से 17,000 रूपये रिश्वत की मांग की थी तथा उस पर दबाव बनाकर 10,000 रूपये रिश्वत उसी समय प्राप्त कर लिये। शेष 7,000 रूपये की मांग बार-बार करने लगा। दिनांक 16.07.2016 को सचिव इंदरसिंह भवेल द्वारा सरपंच के पति शिवलाल को फोन लगाकर 7,000 रूपये की मांग कर उमरबन बुलाया।
फरियादी शिवलाल द्वारा इंदरसिंह से मोबाईल फोन पर रिश्वत की मांग की थी। तथा इसकी शिकायत पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त कार्यालय इंदौर को की गई। फरियादी की शिकायत पर लोकायुक्त कार्यालय इंदौर पर अपराध पंजीबद्ध कर निरीक्षक महेश सुनैया द्वारा ट्रेपदल का गठन कर दिनांक 18.07.2016 को पदल सहित समय करीब 5.20 बजे आरोपी द्वारा फरियादी शिवलाल को उमरबन चाय की दुकान पर फोन करके बुलाया।
उसके बाद ट्रेपदल बस स्टेण्ट के पास खड़ा होकर निगरानी करने लगा एवं फरियादी शिवलाल द्वारा बस स्टेण्ट के बाहर चाय की दुकान पर सचिव इंदरसिंह से मिलकर उसको रिश्वत राशि देकर रिश्वत राशि दिये जाने का निर्धारित इशारा किया गया तो लोकायुक्त निरिक्षक महेश सुनैया और उनके ट्रेपदल द्वारा आरोपी को रिश्वत लिये जाते हुये रंगेहाथ पकड़कर संपूर्ण कार्यवाही कर अनुसंधान पूर्ण कर अभियोग पत्र माननीय विशेष न्यायालय में प्रस्तुत किया।
विचारण के दौरान अभियोजन ने मामले को प्रमाणित करने लिए 9 साक्षीयों को न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था और बचाव पक्ष की और से 2 गवाह प्रस्तुत किये गये थे। अभियोजन कि महत्वपूर्ण साक्ष्य पर विश्वास कर माननीय न्यायालय द्वारा मामले को प्रमाणित मानकर दण्डादेश का आदेश पारित किया गया। आरोपी को जेल वारंट बनाकर जेल भेजा गया।
इस प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी टी.सी. बिल्लौरे उप संचालक अभियोजन द्वारा की गई।
संपादक- श्री कमल गिरी गोस्वामी
Discover more from madhyabharatlive
Subscribe to get the latest posts sent to your email.
हाल ही में प्रकाशित, संबंधित पोस्ट - (Related Posts)
बाबा मित्र मंडल ने निकाली विशाल चुनरी यात्रा
गरबा पंडाल में बालिकाओं की सुरक्षा के स्पेशल महिला बाइकर्स टीम रवाना
कहां चल रहा, सट्टा जुआ का अवैध कारोबार ?