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Do you know what happened when Tulsidas was writing Hanuman Chalisa?

Do you know what happened when Tulsidas was writing Hanuman Chalisa?

क्या आपको पता है कि तुलसीदास जब हनुमान चालीसा लिख रहे थे, तब क्या हुआ था ?

धर्म/ज्योतिष। तुलसीदास जी जब हनुमान चालीसा लिखते थे लिखे पत्रों को रात में संभाल कर रख देते थे सुबह उठकर देखते तो उन में लिखा हुआ कोई मिटा जाता था। तुलसीदास जी बहुत परेशान हुए उन्होंने हनुमान जी की आराधना की, हनुमान जी प्रकट हुए तुलसीदास ने बताया कि मैं हनुमान चालीसा लिखता हूं तो रात में कोई मिटा जाता है।

हनुमान जी बोले वह तो मैं ही मिटा जाता हूं। तुलसीदास जी श्री हनुमान जी के चरणों में गिर पड़े तो हनुमान जी ने कहा अगर प्रशंसा ही लिखनी है तो मेरे प्रभु श्री राम की लिखो मेरी नहीं, तुलसीदास जी को उस समय अयोध्याकांड का प्रथम दोहा याद आया:

श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मन मुकुरु सुधारि।  वरनउं रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।। 

उन्होंने हनुमान चालीसा के प्रारंभ में उसे लिख दिया तो हनुमान जी बोले मैं तो रघुवर हूं नहीं तुलसीदास जी ने कहा आप और प्रभु श्री राम तो एक ही प्रसाद ग्रहण करने से अवतरित हुए हैं इसलिए आप भी रघुवर ही है। तुलसीदास ने याद दिलाया कि ब्रह्म लोक में सुवर्चला नाम की एक अप्सरा रहती थी जो एक बार ब्रह्मा जी पर मोहित हो गई थी जिससे क्रुद्ध होकर ब्रह्माजी ने उसे गिद्धि होने का श्राप दे दिया था।

वह रोने लगी तो ब्रह्मा जी को दया आ गई उन्होंने कहा राजा दशरथ के पुत्र यज्ञ में हवि के रूप में जो प्रसाद तीनों रानियों में वितरित होगा तू कैकेई का भाग लेकर उड़ जाएगी मां अंजना भगवान शिव से हाथ फैला कर पुत्र कामना कर रही होगी उन्ही हाथों में वह प्रसाद गिरा देना जिससे आप अवतरित हुए।

फिर प्रभु श्री राम ने तो स्वयं आपको अपना भाई कहा है “तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई” तुलसीदास ने एक और तर्क दिया कि जब आप मां जानकी की खोज में अशोक वाटिका गए थे तो मां जानकी ने आपको अपना पुत्र बनाया था

अजर अमर गुननिधि सुत होहू करहुं बहुत रघुनायक छोहू जब मां जानकी की खोज करके वापस आए थे तो प्रभु श्री राम ने स्वयं आपको अपना पुत्र बना लिया था इसलिए भी आप रघुवर हुए “सुनु सुत तोहि उरिन मैं नाहीं देखेउं करि विचार मन माहीं” जय जय जय बजरंगबली

संपादक- श्री कमल गिरी गोस्वामी

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