भोपाल। पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड का कचरा पहुंच गया है। इसको लेकर पीथमपुर की जनता के मन में भय और आशंकाओं का होना स्वाभाविक है कि कहीं इससे उनकी सुरक्षा तो खतरे में नहीं पड़ जाएगी।
उनका डर उठना स्वाभाविक है, क्योंकि यह कचरा पिछली शताब्दी की सबसे बड़ी भीषण औद्योगिक त्रासदी का है। पीथपुर की जनता को डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सरकार ने आम जनता के मन में उठ रही तमाम आशंकाओं का जवाब दिया है।
क्या यूनियन कार्बाइड के कचरे से पीथमपुर को कोई नुकसान है? मन में उठ रहे सवालों के सभी जवाबों के यहां मिलेंगे जवाब…
कचरे की संरचना और निपटान प्रक्रिया
- कचरे में 60 प्रतिशत स्थानीय मिट्टी और 40 प्रतिशत 7-नेप्थाल, रिएक्टर रेसिड्यू और प्रोसेस पेस्टीसाइड्स का अपशिष्ट था।
- 7-नेप्थाल रिएक्टर रेसिड्यू का जहरीलापन 25 साल में समाप्त हो जाता है, और इस समय तक कचरे में कोई हानिकारक तत्व नहीं हैं।
- कचरा निपटान की प्रक्रिया का गहन परीक्षण किया गया है, और इसकी निगरानी विभिन्न सरकारी संस्थाओं द्वारा की गई।
कचरे की निपटान प्रक्रिया का परीक्षण
- भारत सरकार की विभिन्न संस्थाओं जैसे नीरी, नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने समय-समय पर अध्ययन किया।
- सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में निर्देश दिए थे कि केरल स्थित हिंदुस्तान इनसेक्टिसाइड लिमिटेड से कचरे का परिवहन कर पीथमपुर स्थित कामन हैजर्डस वेस्ट ट्रीटमेंट फैसिलिटी में निष्पादन किया जाए।
- अगस्त 2015 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सफलतापूर्वक कचरे के निपटान का परीक्षण किया और रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत की।
- रिपोर्ट में बताया गया कि कचरे के निपटान से वातावरण को कोई नुकसान नहीं हुआ।
स्वास्थ्य और पर्यावरणीय परीक्षण
- शासन ने आसपास के गांवों में स्वास्थ्य संबंधी परीक्षण, फसल उत्पादकता और जल स्रोतों की गुणवत्ता का परीक्षण कराया।
- तीनों परीक्षणों में यह पाया गया कि इसके परिणाम नगण्य थे और कोई नकारात्मक परिणाम नहीं निकला।
- यह साबित करता है कि कचरे का निपटान हड़बड़ी में नहीं किया गया और उसकी निगरानी सतत रूप से की जाएगी।
आगे की प्रक्रिया और निगरानी
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम लगातार मौके पर रहेगी और शासन को रिपोर्ट प्रदान करेगी।
- यह प्रक्रिया पूरी तरह से सुरक्षित और निगरानी में की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कांग्रेस से राजनीति नहीं करने को कहा
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि पूरी प्रक्रिया विज्ञानियों की देखरेख में की जा रही है। गैस रिसाव की घटना को 40 साल बीत चुके हैं। 25 साल में जहरीलापन पूरी तरह समाप्त हो जाता है। इसमें किसी तरह के हानिकारक तत्व नहीं बचे हैं।
पीथमपुर में कचरे का निष्पादन क्रांक्रीट के प्लेटफार्म पर होगा। मोहन यादव ने कांग्रेस के सवाल को लेकर पलटवार करते हुए कहा कि घटना के बाद बीस साल तक उनकी सरकार थी, लेकिन कुछ नहीं किया। इस मामले में किसी तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए।
साभार- नईदुनिया।
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