धार। कुछ समय पहले शिकायतकर्ता और पत्रकार पर आरोप लगाने वाला दवाई दुकान संचालक अभिमन्यु बागड़े जा चुका है जेल। जिला चिकित्सालय से मरीज को ले जाता था निजी हॉस्पिटल।
आपको बता दे की जब अभिमन्यु बागडे के भाई जिला चिकित्सालय में कार्यरत डॉक्टर थे, तब इनका भाई अभिमन्यु करता था दलाली। जिला चिकित्सालय से मरीजों को लेकर जाता था निजी चिकित्सालय में।
कुछ समय पूर्व की घटना है धार शहर में स्थित सत्य साईं हॉस्पिटल में एक महिला जिसका नाम सीमा बाई भूरिया है। वह अपनी प्रसूति के लिए जिला चिकित्सालय में भर्ती हुई थी। दो-तीन दिन भर्ती रहने के बाद डॉक्टर नीरज बागडे द्वारा उसे धार के निजी अस्पताल सत्य साईं में ऑपरेशन के लिए भर्ती करवाया गया। ऑपरेशन के लिए ले जाने वाला व्यक्ति डॉक्टर नीरज बागडे का छोटा भाई अभिमन्यु बागड़े था।
महिला के पति के अनुसार इस प्रकरण में नीरज बागडे द्वारा गरीब आदिवासी महिला की डिलीवरी के लिए 35 हजार रुपए की डील हुई थी। उस समय नीरज बागडे की किस्मत खराब थी। रात को महिला को सत्य साईं हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। इसके बाद महिला को लेबर पेन हुआ और अस्पताल के अंदर अर्ध रात्रि में महिला को नॉर्मल डिलीवरी हो गई। महिला और बच्चा ईश्वर की असीम कृपा से दोनों स्वस्थ थे। जब यह बात डॉक्टर नीरज बागडे को पता चली तो नीरज बागडे पैसे को लेकर मरीज के परिजनों पर भड़कने लगा और सत्य साईं हॉस्पिटल से जच्चा और बच्चा दोनों को बाहर कर दिया। यह घटना जब धार के सामाजिक एवं आदिवासी उत्थान के लिए कार्य कर रहे संगठन जयस (जय आदिवासी संगठन) के कार्यकर्ताओं को पता चली तब उन्होंने अस्पताल के सामने धरना दिया।
इस घटना में काफी हंगामा हुआ, उसके बाद पुलिस प्रशासन द्वारा सीमा बाई भूरिया प्रसूता एवं उसके परिजनों को समझाइस देकर जच्चा और बच्चा दोनों को सकुसल रूप से घर भेजा गया।
मनमानी और अपने पैसे के साथ गंभीर लापरवाहियों के बावजूद इस प्रकार की हरकत पर जयस ने कोई सख्त कदम नहीं उठाया, फिर भी जयस कार्यकर्ताओं ने नीरज बागडे के भाई अभिमन्यु बागडे को जेल की हवा खिलाई थी।
इस घटना के बाद नीरज बागडे द्वारा उस समय भी पत्रकारों पर अनर्गल आरोप लगाते हुए जिला चिकित्सालय में शासकीय चिकित्सक के पद से एक इस्तीफा दिया गया था। हालांकि उस स्तीफे के बाद मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने क्या कार्रवाई की, यह हम अगले अंक में आपको दिखाएंगे।
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